Political Crisis In MP: मध्य प्रदेश की राजनीति होली के दिन उस वक्त और गरमा गयी जब कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा कि मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं और जैसा कि आपको अच्छी तरह पता है कि पिछले एक साल से यह मार्ग प्रशस्त किया गया है. आज भी मैं अपने राज्य और देश के लोगों की रक्षा करने के अपने लक्ष्य और उद्देश्य पर अडिग हूं. हालांकि इस्तीफा पत्र पर तिथि नौ मार्च की है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की जिसके बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भी हरकत में आ गयीं. उनके आवास पर बड़े नेताओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया. जानकारी के अनुसार सोनिया गांधी ने पार्टी के कुछ नेताओं को इसके समाधान और भोपाल में स्थिति को संभालने का काम सौंप दिया है. इधर, कांग्रेस विधायक आज (बुधवार) भोपाल से जयपुर के लिए रवाना कर दिये जाएंगे.
पार्टी सूत्रों की मानें तो, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक, वरिष्ठ नेता हरीश रावत और मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया को पार्टी विधायकों के साथ बातचीत करने के लिए पर्यवेक्षकों के रूप में कांग्रेस ने भोपाल भेजने का काम किया है. बताया जा रहा है कि इन नेताओं को असंतुष्ट विधायकों और पार्टी के बीच मध्यस्थता करने तथा उनकी शिकायतों को सुलझाने की जिम्मेदारी भी है.
मंगलवार को मध्य प्रदेश की राजनीति के गरमाने के बाद सोनिया गांधी ने कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और वरिष्ठ नेता हरीश रावत के साथ बैठक की. कांग्रेस ने सज्जन सिंह वर्मा और गोविंद सिंह को बेंगलुरु में बैठे कुछ बागी विधायकों को मनाने के लिए रवाना किया गया.
आपको बता दें कि सिंधिया के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि उनको पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया गया है. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण सिंधिया को तत्काल प्रभाव से निष्कासित करने को स्वीकृति प्रदान की.