10 मार्च का दिन जितना पांच राज्यों के लिए अहम है, उससे कहीं ज्यादा अहम सियासी दलों के लिए है. चुनाव प्रचार अभियान में जमकर पसीना बहाने के बाद अब राजनीतिक दलों को नतीजों का इंतजार है. कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. ऐसे में पांच राज्यों के नतीजों पर कांग्रेस की भी नजर है. इन नतीजों से पार्टी की आगे की दशा और दिशा दोनों तय होगी.
गौरतलब है कि बीते कई विधानसभा चुनाव में पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ा है. दो बार आम चुनाव में भी कांग्रेस मात खा चुकी है. ऐसे में इस बार के चुनावों में जीत या हार का पार्टी के राजनीति पर खासा असर पड़ने वाला है. क्योंकि इन चुनावों की जीत या हार का पार्टी पर खासा प्रभाव पड़ने वाला है.
पंजाब में कांग्रेस की सरकार है ऐसे में वो यहां फिर से जीत दर्ज कर सरकार बनाती है तो पार्ची की प्रतिष्ठा बरकरार रहेगी. वहीं, अगर उत्तराखंड चुनाव के नतीजे भी पार्टी के अनुकूल आए और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो उसके आगे के चुनावों पर सकारात्मक असर पड़ेगा. लेकिन अगर पार्टी यहां हारती है तो इससे कांग्रेस के अंदर का खींचतान और बढ़ेगा.
जाहिर है अभी कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ मुख्य विपक्षी पार्टी है, ऐसे में कांग्रेस दो या दो से अधिक राज्यों में जीत दर्ज करती है तो उसकी रुतबा बढ़ेगा. इससे इतर अगर इन चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर नहीं होता है तो उसकी साख को बट्टा लगेगा. वो भी उस समय जब यूपीए से इतर ममता बनर्जी केन्द्र के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में लगी है.
इसके अलावा कांग्रेस के अंदरखाने में मौजूद कुछ बागी नेताओं को पार्टी को नीचा दिखाने का एक और मौका मिल जाएगा. वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी ये किसी परीक्षा के कम नहीं, पांच राज्यों के चुनाव में उन्होंने पार्टी प्रत्याशियों के लिए जमकर मेहनत की है. इसके अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी इसी साल चुनाव होने वाला हैं. ऐसे में अगर कांग्रेस की जीत होती है तो पार्टी के अंदर राहुल गांधी का कद और बड़ा होगा.
Posted by: Pritish Sahay