नेपाल में ‘प्रचंड’ के पीएम बनने से खत्म हुई राजनीतिक अस्थिरता, मगर क्या भारत के साथ सुधरेंगे संबंध?
नेपाल के पुष्प कमल दहल प्रचंड को चीन का कट्टर समर्थक माना जाता है. प्रचंड ने अतीत में कहा था कि नेपाल में बदले हुए परिदृश्य के आधार पर और 1950 की मैत्री संधि में संशोधन तथा कालापानी व सुस्ता सीमा विवादों को हल करने जैसे सभी बकाया मुद्दों के समाधान के बाद भारत के साथ नई समझ विकसित करने की जरूरत है.
काठमांडू : नेपाल में नाटकीय तरीके से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा नए प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने के बाद वहां की राजनीतिक अस्थिरता तो समाप्त हो जाएगी, लेकिन क्या इसके बाद नेपाल का भारत के साथ रिश्तों में सुधार होने की गुंजाइश है? पिछले महीने हुए आम चुनावों में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिल पाने के कारण देश में जारी अनिश्चितता का वातावरण रविवार के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद समाप्त हो गया. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें, तो यह आश्चर्यजनक घटनाक्रम भारत और नेपाल के बीच संबंधों की दृष्टि से अच्छा नहीं हो सकता है, क्योंकि क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर प्रचंड और उनके मुख्य समर्थक केपी शर्मा ओली के रिश्ते पहले से ही नई दिल्ली के साथ अच्छे नहीं रहे हैं.
सोमवार को शपथ लेंगे प्रचंड
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, करीब 68 साल के पुष्प कमल दहल प्रचंड को संविधान के अनुच्छेद 76(2) के अनुसार देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है. राष्ट्रपति ने प्रतिनिधि सभा के वैसे किसी भी सदस्य को प्रधानमंत्री पद का दावा पेश करने के लिए आमंत्रित किया था, जो संविधान के अनुच्छेद 76(2) में निर्धारित दो या दो से अधिक दलों के समर्थन से बहुमत प्राप्त कर सकता हो. प्रचंड ने राष्ट्रपति द्वारा दी गई समय सीमा के समाप्त होने से पहले सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत किया था. संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत गठबंधन सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति द्वारा दी गई समय सीमा रविवार शाम को समाप्त हो रही थी. नवनियुक्त प्रधानमंत्री प्रचंड का शपथ ग्रहण समारोह सोमवार को शाम चार बजे होगा.
नेपाल की कई पार्टियों ने प्रचंड का किया समर्थन
सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, नेपाल के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री प्रचंड सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन सहित अन्य शीर्ष नेताओं के साथ राष्ट्रपति कार्यालय गए और सरकार बनाने का दावा पेश किया. पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक यहां हुई, जिसमें सभी दल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमत हुए.
चीन के समर्थक हैं प्रचंड
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले पुष्प कमल दहल प्रचंड को चीन का कट्टर समर्थक माना जाता है. प्रचंड ने अतीत में कहा था कि नेपाल में बदले हुए परिदृश्य के आधार पर और 1950 की मैत्री संधि में संशोधन तथा कालापानी एवं सुस्ता सीमा विवादों को हल करने जैसे सभी बकाया मुद्दों के समाधान के बाद भारत के साथ एक नई समझ विकसित करने की आवश्यकता है. भारत और नेपाल के बीच 1950 की शांति और मैत्री संधि दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों का आधार बनाती है.
मानचित्र में बदलाव से भारत के साथ रिश्तों हुए खराब
हालांकि, प्रचंड ने हाल के वर्षों में कहा था कि भारत और नेपाल को द्विपक्षीय सहयोग की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए ‘इतिहास में अनिर्णित’ कुछ मुद्दों का कूटनीतिक रूप से समाधान किए जाने की जरूरत है. उनके मुख्य समर्थक पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भी चीन समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं. प्रधानमंत्री के रूप में ओली ने पिछले साल दावा किया था कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण तीन क्षेत्र (लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा) को नेपाल के राजनीतिक मानचित्र में शामिल करने के कारण उन्हें सत्ता से बाहर किए जाने का प्रयास किया गया था. इस विवादित मानचित्र के कारण दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे. लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा क्षेत्र भारत का हिस्सा हैं.
परिवहन के लिए भारत पर निर्भर है नेपाल
भारत ने 2020 में नेपाली संसद द्वारा नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी देने के बाद पड़ोसी देश के इस कदम को ‘कृत्रिम विस्तार’ को ‘अरक्षणीय’ करार दिया था. नेपाल पांच भारतीय राज्यों (सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड) के साथ 1850 किलोमीटर से अधिक की सीमा साझा करता है. किसी बंदरगाह की गैर-मौजूदगी वाला पड़ोसी देश नेपाल माल और सेवाओं के परिवहन के लिए भारत पर बहुत अधिक निर्भर करता है. नेपाल की समुद्र तक पहुंच भारत के माध्यम से है और यह अपनी जरूरतों की चीजों का एक बड़ा हिस्सा भारत से और इसके माध्यम से आयात करता है.
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13 साल तक भूमिगत रहे प्रचंड
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, 11 दिसंबर, 1954 को पोखरा के निकट कास्की जिले के धिकुरपोखरी में जन्मे पुष्प कमल दहल प्रचंड करीब 13 साल तक भूमिगत रहे. वह उस वक्त मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए, जब सीपीएन-माओवादी ने एक दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह का रास्ता त्यागकर शांतिपूर्ण राजनीति का मार्ग अपनाया. उन्होंने 1996 से 2006 तक एक दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया था, जो अंततः नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ.