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आंदोलन की बिसात पर भारत में बन गई एक और पार्टी, गुरनाम सिंह चढ़ूनी ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ का किया ऐलान

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा संसद के दोनों सदनों से तीनों कृषि कानूनों की वापसी और 378 दिनों से आंदोलन कर रहे की सरकार के साथ सुलह होने के बाद अब एक नई सियासी पार्टी का अवतार होने जा रहा है.

नई दिल्ली : आंदोलन की बिसात पर देश में बीते एक दशक के दौरान दूसरी राजनीतिक पार्टी का अवतार हो गया है. साल 2011 में अन्ना आंदोलन की बिसात पर अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम ने आम आदमी पार्टी (आप) के गठन करीब 10 साल बाद यह किसानों की पार्टी है. शनिवार को किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने एक नए राजनीतिक दल ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ का ऐलान किया है.

मीडिया को संबोधित करते हुए गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि देश में पार्टियों की कमी नहीं है, परंतु आज देश में बदलाव की जरूरत है. इन पार्टियों ने राजनीति को व्यापार बना लिया है. राजनीति में बदलाव लाने के लिए, राजनीति को शुद्ध करने के लिए हम अपनी नई धर्मनिरपेक्ष पार्टी ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ लॉन्च कर रहे हैं.

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा संसद के दोनों सदनों से तीनों कृषि कानूनों की वापसी और 378 दिनों से आंदोलन कर रहे की सरकार के साथ सुलह होने के बाद अब एक नई सियासी पार्टी का अवतार हुआ है. हालांकि, आंदोलन की समाप्ति के साथ ही इस बात पर चर्चा की जा रही थी किसान अलग से एक राजनीतिक पार्टी का गठन कर सकते हैं.

हालांकि, यह बात दीगर है कि सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और एमएसपी कानून बनाने की मांग को लेकर आंदोलन के दौरान किसान नेताओं ने राजनीति में जाने की बात नकारते रहे हैं, लेकिन आंदोलन समाप्त होने के बाद ही इसके नेताओं ने सियासी पार्टी के गठन का ऐलान कर दिया था. शनिवार को किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी द्वारा बुलाई गई प्रेस वार्ता को लेकर कहा जा रहा है कि उन्होंने नई राजनीतिक पार्टी का ऐलान करने के लिए मीडिया के लोगों को बुलाया है.

मीडिया की बातचीत के दौरान किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने हमेशा इस बात की चर्चा की है कि देश की राजनीति गंदी हो गई है. किसानों के मुद्दे कहीं उठाए नहीं जा रहे और न ही कहीं पर उनकी बातें सुनी जा रही हैं.

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उन्होंने कहा था कि राजनीति की गंदगी को दूर करने के लिए राजनीति में उतरना बेहद जरूरी है. हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा था कि वे खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन साफ छवि वाले नेता को चुनाव जरूर लड़ाएंगे.

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