UP Politics: यूपी में सियासी हलचल तेज, पीएम मोदी से मिले भूपेंद्र चौधरी, राज्यपाल आनंदीबेन से सीएम योगी ने की मुलाकात
UP Politics: यूपी में जोर पकड़ते सियासी हलचल के बीच मुलाकातों का दौर भी जारी है. बुधवार को यूपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने पीएम मोदी से मुलाकात की तो वहीं, सीएम योगी ने राजभवन जाकर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात की है.
UP Politics: लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में उम्मीद से काफी कम सीटें मिलने से जहां पार्टी में मंथन का दौर जारी है. इस बीच प्रदेश बीजेपी में खींचतान की खबरें भी जोर पकड़ रही हैं. अटकल लगाया जा रहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच मतभेद है. साथ ही यूपी बीजेपी के प्रमुख भूपेंद्र सिंह चौधरी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सियासी हलचल और बढ़ा दी. राजनीतिक गलियारों में इस मुलाकात को लेकर चर्चा तेज है. जाहिर है यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब यूपी में पार्टी संगठनात्मक बदलाव की अटकलें जोर पकड़ रही हैं. इसी कड़ी में सीएम योगी का राजभवन जाकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात भी सियासी सरगर्मी बढ़ा रहा है.
सीएम योगी और मौर्य के बीच क्या वाकई मतभेद है
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच मतभेदों की खबरों को तब हवा लगी जब मौर्य ने 14 जुलाई को लखनऊ में हुई पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कहा कि संगठन हमेशा सरकार से बड़ा होता है. उनके बयान से यूपी की सियासी गलियारों में हलचल मच गई. इस बयान को सीएम योगी आदित्यनाथ पर हमले के रूप में देखा गया. सबसे बड़ी बात कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया था. इस बैठक में सीएम योगी ने भी राज्य में चुनावी हार के लिए अति आत्मविश्वास को परोक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया था. सीएम योगी ने कहा था कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के प्रचार अभियान का प्रभावी ढंग से मुकाबला नहीं कर किया गया.
यूपी को बीजेपी के गढ़ के रूप में जाना जाता है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी की बड़ी जीत में यूपी की भूमिका बेहद खास रही थी. लेकिन 2024 में पार्टी का प्रदर्शन बीजेपी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. इसके अलावा नतीजों के बाद संगठन में चल रही खींचतान भी बीजेपी के लिए बड़ी टेंशन बनी हुई है. ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य के ऑफिस से सोशल मीडिया मंच एक्स पर की गयी पोस्ट ‘संगठन सरकार से बड़ा है, कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है. संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव हैं’ ने विपक्ष को सरकार को घेरने का रास्ता दे दिया है.
धूमिल हुई है बीजेपी की छवि!
यूपी की राजनीति में खासकर सीएम योगी के समर्थक के बीच उनकी छवि एक लोकप्रिय मुख्यमंत्री की है. उन्होंने पार्टी के हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाया है और कानून-व्यवस्था पर भी मजबूत पकड़ बनाए रखा है. लेकिन हाल की घटनाओं और बयानबाजियों ने प्रदेश में पार्टी की छवि को धूमिल किया है. बीजेपी के एक दो नेताओं ने भी स्वीकार किया है कि कुछ नेताओं की टिप्पणियों ने एक अनुशासित पार्टी के रूप में भाजपा के कद को छोटा किया है. बता दें, हाल के लोकसभा चुनावों में सपा और कांग्रेस के ‘इंडिया’ गठबंधन ने प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 43 पर जीत दर्ज की है. वहीं, एनडीए के खाते में सिर्फ 36 सीटें ही आईं. साल 2019 में एनडीए ने प्रदेश की 64 सीटें जीती थीं.
अखिलेश यादव ने किया कटाक्ष
इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है. अखिलेश ने अपने पोस्ट पर लिखा है कि दिन पर दिन बीजेपी कमजोर हो रही है. पार्टी में टकराव और भटकाव का दौर शुरू हो गया है. बीजेपी खेमों में बंट गयी है. बिना किसी का नाम लिए अखिलेश ने कहा कि बीजेपी के एक नेता महोदय अपने ही शीर्ष नेतृत्व के दिए नारे को नकार रहे हैं. तो कोई मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि बैकफुट पर जाने की जरूरत नहीं है, जो उछल-कूद कर रहे हैं वो बैठा दिये जाएंगे. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि बीजेपी में एक-दूसरे को कमतर दिखाने के लिए कठपुतली का खेल खेला जा रहा है. सबकी डोरी अलग-अलग हाथों में है. पर्दे के पीछे की लड़ाई अब सरेआम हो गयी है. इंजन ही नहीं अब तो डिब्बे भी आपस में टकरा रहे हैं.
केशव प्रसाद मौर्य ने किया पलटवार
सपा अध्यक्ष के पोस्ट पर पलटवार करते हुए यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि बीजेपी प्रदेश और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मजबूत है और 2027 में यूपी विधानसभा चुनाव जीतेगी. उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘सपा बहादुर श्री अखिलेश यादव जी, भाजपा के पास राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मजबूत संगठन और सरकार है, सपा का पीडीए एक धोखा है. यूपी में सपा की गुंडागर्दी की वापसी असंभव है, भाजपा 2027 के विधानसभा चुनाव में 2017 को दोहराएगी. भाषा इनपुट के साथ