Pollution: ट्रकों की आवाजाही के लिए सभी एंट्री पॉइंट की हो निगरानी 

याधीश अभय एस ओका और न्यायाधीश ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा इसके लिए किसी को जवाबदेह होना होगा. ट्रकों के कारण व्यापक पैमाने पर प्रदूषण हो रहा है. इसे रोकने के लिए दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को कदम उठाना होगा.

By Vinay Tiwari | November 22, 2024 4:46 PM

Pollution: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली सरकार को अहम निर्देश दिए. अदालत ने दिल्ली में ट्रकों की एंट्री रोकने को लेकर व्यापक व्यवस्था नहीं होने की बात कही. न्यायाधीश अभय एस ओका और न्यायाधीश ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा इसके लिए किसी को जवाबदेह होना होगा. ट्रकों के कारण व्यापक पैमाने पर प्रदूषण हो रहा है. इसे रोकने के लिए दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को कदम उठाना होगा. दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने खंडपीठ को बताया कि 13 एंट्री प्वाइंट की पहचान कर ट्रकों की आवाजाही को रोकने का काम किया जा रहा है.

इसपर आपत्ति जाहिर करते हुए न्यायाधीश ओका ने कहा कि दिल्ली सरकार एंट्री प्वाइंट की सूची मुहैया नहीं करा रही है. एमिकस क्यूरी ने अदालत को बताया कि दिल्ली में 113 एंट्री प्वाइंट है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि 13 प्रमुख एंट्री प्वाइंट की निगरानी की जा रही है. पीठ ने कहा कि जब 100 एंट्री प्वाइंट की निगरानी नहीं हो रही है तो इस निगरानी का कोई मतलब नहीं रह जाता है. इसके बाद अदालत ने जरूरी निर्देश जारी करते हुए दिल्ली पुलिस को सभी 113 एंट्री प्वाइंट पर तत्काल जांच चौकी स्थापित करने को कहा.

साथ ही निर्देश दिया कि एंट्री प्वाइंट पर जाने वाले कर्मियों को आवश्यक चीजों के तहत स्वीकृत वस्तुओं के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी देनी होगी. शीर्ष अदालत ने प्रदूषण में वृद्धि रोकने के लिए कड़े कदम उठाने में देरी पर नाराजगी जाहिर करते हुए दिल्ली-एनसीआर राज्यों को ग्रैप-4 के तहत प्रतिबंध लागू करने के लिए तुरंत टीम गठित करने का निर्देश दिया था. 

पैनल गठित करने का केंद्र ने किया विरोध

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में पराली जलाने का अहम योगदान है. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने पराली जलाने के मामले से निपटने के लिए पूर्व न्यायाधीशों का पैनल बनाने के सुझाव का विरोध किया. एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने अदालत से पैनल गठित करने की मांग की थी. उन्होंने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जो पराली जलाने और वायु प्रदूषण के मामले से जुड़े रहे हैं, उनका एक पैनल बनाया जाना चाहिए. ऐसे पूर्व चार न्यायाधीश हैं. ये न्यायाधीश मुद्दे और समस्या को समझते हैं.

ये सभी हितधारकों से बात कर अहम सुझाव दे सकते हैं. केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि केंद्र सरकार और कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट प्रदूषण रोकने के लिए उचित कदम उठा रहा है. ऐसे में एक और कमेटी की जरूरत नहीं है. हम प्रदूषण से निपटने के लिए पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं. 

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