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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी सरकार को लगायी फटकार, कही ये बात

अदालत को उसकी आय-व्यय का ऑडिट करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, क्योंकि सरकार अपनी छवि चमकाने के लिए जमकर विज्ञापनों पर खर्च कर रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2021 6:56 PM

नयी दिल्ली: दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली-एनसीआर) में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की सरकार को जमकर फटकार लगायी है. साथ ही देश की शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को संबंधित राज्यों की हाई लेवल मीटिंग बुलाने के लिए कहा है, ताकि इस समस्या से निपटा जा सके. चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली खंडपीठ ने अरविंद केजरीवाल सरकार से कहा कि थोथी दलीलें न दें.

अरविंद केजरीवाल सरकार की ओर से लगातार जारी किये जा रहे विज्ञापनों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगायी. कहा कि पर्यावरण की स्थिति में सुधार के लिए दिल्ली की सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाये, तो अदालत को उसकी आय-व्यय का ऑडिट करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, क्योंकि सरकार अपनी छवि चमकाने के लिए जमकर विज्ञापनों पर खर्च कर रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शामिल राज्यों के कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के बारे में विचार करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि प्रदूषण के स्तर में सुधार के लिए वह अपने प्रदेश में कम्प्लीट लॉकडाउन लगाने के लिए तैयार है. साथ ही कहा कि इसके सफल परिणाम तभी आयेंगे, जब उसके पड़ोसी राज्य भी ऐसा ही कदम उठायें.

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दरअसल, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर को पार कर चुका है. नवंबर के पहले सप्ताह में यह ‘गंभीर’ श्रेणी में था. आम आदमी पार्टी सरकार की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जतायी और अपना ऑब्जर्वेशन भी दिया. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की नगर निगमों पर प्रदूषण से निपटने में विफल रहने के आरोपों पर दिल्ली सरकार को फटकार लगायी. कहा कि दूसरों पर आरोप मढ़ने की प्रवृत्ति से बाज आयें.

स्थिति की गंभीरता पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में ट्रांसपोर्ट, उद्योग-धंधे, ट्रैफिक और पराली जलाये जाने की वजह से प्रदूषण फैल रहा है. दिल्ली सरकार ने अपने शपथ पत्र में प्रदूषण का पूरा दोष किसानों और पराली पर मढ़ दिया है, जबकि प्रदूषण में पराली की हिस्सेदारी महज 4 फीसदी है. शीर्ष अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा की सरकारों से कहा कि वे किसानों से आग्रह करें कि दो सप्ताह तक वे पराली न जलायें.

Posted By: Mithilesh Jha

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