दिल्ली- एनसीआर की हवा दिनों दिन खराब हो रही है. आज राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता ने पिछले आठ महीने का रिकार्ड तोड़ दिया. वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार को आठ महीनों में सबसे निचले स्तर पर रही.
शहर में बढ़ते प्रदूषण के कई कारण है जिनमें पराली भी सबसे अहम है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रदूषण रोकने के लिए अभियान चला रहे हैं. केंद्र सरकार दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंतित है लेकिन इन अभियान और चिंताओं के बीच दिल्ली के प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है.
शहर के पीएम 2.5 स्तर में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी केवल छह प्रतिशत रही. नासा के उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों में पंजाब के अमृतसर, पटियाला, तरनतारन और फिरोजपुर तथा हरियाणा के अंबाला और राजपुरा में बड़े पैमाने पर खेतों में पराली जलाए जाने का पता चला है .
शहर में 95% वायु प्रदूषण धूल, निर्माण और बायोमास जलने जैसे स्थानीय कारकों के कारण है। सभी अपराधियों को दंडित किया जाएगा।
प्रदूषण से जंग हम मिलकर लड़ेंगे एवं जीतेंगे।#IndiaFightsPollution@CPCB_OFFICIAL @moefcc @DDNewslive @PIB_India— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) October 15, 2020
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पंजाब सरकार से पराली जलाने पर रोक लगाने का आग्रह किया. हालांकि, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता प्रणाली एवं मौसम पूर्वानुमान अनुसंधान इ्ईकाई (सफर) ने कहा कि हवा की दिशा पराली के धुएं को लाने के लिए आंशिक रूप से अनुकूल है और इसलिए पीएम 2.5 के स्तर में इसकी हिस्सेदारी बढ़ने के आसार हैं.
दिल्ली में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 312 रहा. इस साल इससे पहले हवा की गुणवत्ता का इतना खराब स्तर फरवरी में था. चौबीस घंटे का औसत एक्यूआई बुधवार को 276 था, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है. यह मंगलवार को 300, सोमवार को 261, रविवार को 216 और शनिवार को 221 था. शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है.
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सफर के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के पीएम 2.5 के स्तर में पराली जलाने की हिस्सेदारी बृहस्पतिवार को करीब छह फीसदी थी. यह बुधवार को एक प्रतिशत, मंगलवार, सोमवार और रविवार को करीब तीन प्रतिशत थी. भारत मौसम विज्ञान विभाग के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि हवा की दिशा उत्तर पश्चिम है और वायु गति 15 किलोमीटर प्रति घंटा है जो पराली जलाने से उत्पन्न होने वाले धुएं को ले जा सकने के लिए अनुकूल है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी रोजाना बदलती है. मंत्रालय ने ट्वीट किया, ” पिछले साल आठ अक्टूबर से नौ दिसंबर के बीच (सफर के आंकड़ों के अनुसार) दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी छह दिनों तक 15 फीसदी से ज्यादा थी, जबकि एक दिन यह 40 प्रतिशत से अधिक रही.” दिल्ली-एनसीआर में पीएम10 का स्तर बृहस्पतिवार शाम पांच बजे 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ गया
आगामी सर्दियों के मौसम के मद्देनजर, दिल्ली-एनसीआर में निरीक्षण के लिए आज CPCB की 50 टीमों को रवाना किया। यह सभी टीमें प्रदूषण के कारणों की समीक्षा कर, अपनी रिपोर्ट SAMEER app पर रियल टाइम अपडेट करेंगी। @CPCB_OFFICIAL @moefcc pic.twitter.com/SENe1Hh6qZ
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) October 15, 2020
भारत में पीएम10 का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से नीचे सुरक्षित माना जाता है. पीएम2.5 का स्तर 1561 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया. पीएम2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक सुरक्षित माना जाता है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी के 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित कोयले से चलने वाले 11 बिजली संयंत्रों को सात दिन के अंदर बंद करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण को पत्र लिखेंगे.
संयंत्र प्रदूषण नियंत्रण मानकों को पूरा करने की दो समय सीमा का पालन नहीं कर पाए. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी कहा है कि उसने 50 टीमें गठित की हैं, जो सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण फैलाने वाले मानदंडों का उल्लंघन करने वालों पर नजर रखेंगी. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जीआरएपी बृहस्पतिवार से लागू हो गया.
इसके तहत दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में कई तरह के प्रदूषण विरोधी उपाय किए जाते हैं. इसे पर्यावरण और वन मंत्रालय ने 2017 में पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण के माध्यम से लागू करने के लिए अधिसूचित किया था.
हवा की गुणवत्ता खराब होने पर जीआरएपी के तहत किए जाने वाले उपायों में लोगों के यातायात के लिए बस और मेट्रो सेवाएं बढ़ाने, पार्किंग शुल्क में बढ़ोतरी और डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध लगाना शामिल है. “आपातकालीन” स्थिति में किए जाने वाले उपायों में दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर रोक, निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध और सम-विषम योजना को लागू करना शामिल है. दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता के खराब होने के बीच, विशेषज्ञों ने चेताया है कि वायु प्रदूषण के उच्च स्तर से कोविड-19 के मामले बढ़ सकते हैं