Pooja Khedkar: पूर्व ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है. अपने जवाब में उन्होंने UPSC के सारे आरोपों को नकार दिया है. उन्होंने कहा है कि यूपीएससी को उनकी उम्मीदवारी रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है. पूजा खेडकर ने कहा है कि एक नियुक्ति हो जाने पर उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य करार देने की शक्ति यूपीएससी के पास नहीं है. उनके खिलाफ केंद्र सरकार का कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ही कार्रवाई कर सकता है.
नहीं किया गया है नाम में कोई बदलाव- पूजा खेडकर
पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर ने कोर्ट में पेश अपने जवाब में उन्होंने दावा किया है कि साल 2012 से लेकर 2022 तक उनके नाम या पहचान या उपनाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है. उन्होंने कहा है कि शायद यूपीएससी को किसी ने फर्जी खबर दी है. उन्होंने अपने पक्ष में कहा है कि यूपीएससी ने बायोमेट्रिक डेटा के जरिए मेरी पहचान की है. आयोग ने जांच में मेरे द्वारा पेश किए गए डॉक्यूमेंट को फेक या गलत नहीं पाया है. उन्होंने कहा है कि मेरे एजुकेशनल सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, डेट ऑफ बर्थ और बाकी पर्सनल इंफॉर्मेशन सब सही हैं.
डिसेबिलिटी भी मिली सही
कोर्ट में पेश अपने जवाब में पूजा खेडकर कहा है कि केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) की ओर से भी वेरिफिकेशन किए गए हैं. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कहा है कि एम्स की ओर से गठित मेडिकल बोर्ड ने मेरा मेडिकल किया, जिसमें मेरी डिसेबिलिटी को 47 फीसदी तक और पीडब्ल्यूबीडी कैटेगरी के लिए जरूरी 40 फीसदी डिसएबिलिटी से ज्यादा पाया था.
नाम और पता गलत कहना सही नहीं- पूजा खेडकर
पूजा खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में यह भी कहा है कि उनके नाम और पता को फर्जी कहना गलत है. पूजा ने कहा कि मैंने अपने नाम और प्रमाण पत्रों में जो गलत था उसे ठीक करने के लिए हलफनामा और आधिकारिक राजपत्र पेश किए थे. इसके अलावा जाति और पिता के नाम के खुलासे के लिए यूपीएससी के अनुरोध का पालन भी किया. उन्होंने कहा कि ऐसे में आयोग की ओर से यह कहना गलत है कि मैंने नाम और पते में किसी तरह का फर्जीवाड़ा किया है.
फर्जीवाड़े के कारण यूपीएससी ने रद्द कर दिया था पूजा खेडकर का चयन
बता दें, पूजा खेडकर 2023 बैच की आईएएस चयनित उम्मीदवार थी. ट्रेनिंग के दौरान ही उनपर आरोप लगा कि उन्होंने आरक्षण का लाभ लेने के लिए UPSC को गलत जानकारी दी है. उन्होंने नाम पता के साथ-साथ उम्र, फर्जी जाति प्रमाण पत्र और दिव्यांगता प्रमाण पत्र जमा किया था. उनकी सर्टिफिकेट की यूपीएससी ने जांच की. जांच में यूपीएससी ने आरोप को सही पाया. इसके बाद UPSC ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी.
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