नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बैंच आज पीजी मेडिकल एजुकेशन एंड रेगुलेशन 2000 के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगी. कोर्ट के इस फैसले के बाद तय हो जाएगा कि देश में अलग-अलग राज्य पीजी पाठ्यक्रम को लेकर आरक्षण लागू कर सकती है या नहीं?
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में इससे पहले तीन जजों की बैंच ने इस मामले की सुनवाई की थी, जिसमें कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया था. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार की दलील को भी सही नहीं माना था.
केंद्र सरकार ने कोर्ट में अपने दलील में कहा था कि इस मामले में दिनेश सिंह चौहान बनाम सरकार पर सुनवाई हो चुकी है, जिसमें कोर्ट ने फ़ैसला दिया है. हालांकि जजों ने इस मामले में समवर्ती सूची और राज्यों के अधिकारो की सूची पर ध्यान नहीं देने के कारण केंद्र की दलील को नहीं माना, जिसके बाद अब यह मामला संवैधानिक पीठ के पास है.
क्या है मामला- एमसीआई द्वारा बनाए गए मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम के मुताबिक राज्य सरकार आरक्षण लागू नहीं कर सकती है. तमिलनाडु ऑफिसर एसोशिएशन इसी मामले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है. एसोसिएशन का कहना है कि रेगुलेशन 9 (iv)और 9 (vii) का रेगुलेशन 9, डिग्री कोर्स में प्रवेश के इच्छुक इन-सर्विस उम्मीदवारों के लिए प्रवेश का एक अलग स्रोत प्रदान करने के लिए, एंट्री 25, लिस्ट 3 के तहत राज्यों की शक्ति को छीन नहीं सकता है.
इससे पहले, एक अन्य मामले पर सुनवाई के दौरानसुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में होने वाले नीट मेडिकल परीक्षा में ओबीसी समुदाय को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है, जिसे हम अनुच्छेद 32 का उपयोग कर सुनवाई कर सकते. अदालत ने याचिकाकर्ता को इस मामले में हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था. अदालत के इस फैसले के बाद आगामी नीट मेडिकल एग्जाम में तमिलनाडु के ओबीसी वर्ग को 50 प्रतिशत आरक्षण मिलने की राहें मुश्किल हो गई है
Posted By : Avinish Kumar Mishra