रांची : एक अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम में प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) को कांग्रेस (Congress) ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया था. 26 जुलाई, 2012 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद प्रणब दा ने जो भाषण दिया था, उसमें गरीबी से लेकर भ्रष्टाचार तक की बात की थी. उन्होंने बताया था कि ‘गरीबी उन्मूलन’ से लेकर ‘भारत के उदय’ तक की बात की थी.
प्रणब दा ने यह भी बताया था कि गरीबी कैसे मिटेगी. शिक्षा से कैसे बदलाव आयेगा और भ्रष्टाचार किस तरह से प्रगति में बाधक है. कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद के कथन को वह अपने भाषण में जरूर शामिल करते थे. राष्ट्रपति बनने के बाद जो उन्होंने पहला भाषण दिया था, उसका समापन स्वामी विवेकानंद के एक रूपक से ही किया था.
संसद के केंद्रीय कक्ष में 26 जुलाई, 2012 को प्रणब मुखर्जी के भाषण की वो चार अहम बातें इस प्रकार हैं.
Also Read: भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बारे में वे बातें, जो आप नहीं जानते
गरीबी के अभिशाप को खत्म करना है. युवाओं के लिए ऐसे अवसर पैदा करने हैं, जिससे वे हमारे देश को तीव्र गति से आगे ले जायें. भूख से बड़ा कोई अपमान नहीं है. सुविधाओं को धीरे-धीरे नीचे तक पहुंचाने के सिद्धांतों से गरीबों की न्यायसंगत आकांक्षाओं का समाधान नहीं हो सकता. हमें उनका उत्थान करना होगा, जो सबसे गरीब हैं, ताकि गरीबी शब्द आधुनिक भारत के शब्दकोष से मिट जाये. राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा विकास वास्तविक लगे, इसके लिए जरूरी है कि हमारे देश के गरीब से गरीब व्यक्ति को महसूस हो कि वह उभरते भारत की कहानी का एक हिस्सा है.
मेरी राय में शिक्षा वह मंत्र है, जो भारत में अगला स्वर्ण युग ला सकता है. हमारे प्राचीनतम ग्रंथों में समाज के ढांचे को ज्ञान के स्तंभों पर खड़ा किया गया है. ज्ञान को देश के हर एक कोने में पहुंचाकर इसे एक लोकतांत्रिक ताकत में बदलना हमारी चुनौती है.
कभी-कभी पद का भार व्यक्ति के सपनों पर भारी पड़ जाता है. भ्रष्टाचार ऐसी बुराई है, जो देश की मनोदशा में निराशा भर सकती है और इसकी प्रगति को बाधित कर सकती है. हम कुछ लोगों के लालच के कारण अपनी प्रगति की बलि नहीं दे सकते.
भाषण का अंत उन्होंने विवेकानंद के सुप्रसिद्ध रूपक से किया, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘भारत का उदय होगा. शरीर की ताकत से नहीं, मन की ताकत से. विध्वंस के ध्वज से नहीं, शांति और प्रेम के ध्वज से. अच्छाई की सारी शक्तियां एकत्र करें. यह न सोचें कि मेरा रंग क्या है. हरा, नीला अथवा लाल, सभी रंगों को मिलाकर सफेद रंग की प्रखर चमक पैदा करें, जो प्यार का रंग है.’
Posted By : Mithilesh Jha