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प्रणब मुखर्जी का संस्मरण ‘द प्रेसिडेंशियल इयर्स’ प्रकाशित, सामने आयीं चौंकानेवाली कई बातें

Pranab Mukherjee, memoirs, The Presidential Years, published, surprising things, revealed : नयी दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी का पश्चिम बंगाल से गहरा नाता रहा है. उनका जन्म वीरभूम जिले में किरनाहर शहर के पास स्थित मिराती गांव में हुआ था. कांग्रेस में रहे प्रणब मुखर्जी के तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से भी रिश्ते काफी मधुर थे. उनकी मौत पर ममता बनर्जी ने भी कहा था कि उन्होंने अपना बड़ा भाई खो दिया है. उन्होंने आखिरी समय में संस्मरण 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' पूरी की थी. उसे प्रकाशित कर दी गयी है. इसमें कही गयी कई बातें चौंकानेवाली भी हैं. अपने संस्मरण में उन्होंने इंदिरा-नेहरू, कांग्रेस, नरेंद्र मोदी, ममता बनर्जी समेत कई विषयों पर बातें की हैं. पुस्तक प्रकाशित होने के बाद कई बातें अब सामने आ रही हैं. इनमें से कुछ वायरल भी हो रही हैं.

नयी दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी का पश्चिम बंगाल से गहरा नाता रहा है. उनका जन्म वीरभूम जिले में किरनाहर शहर के पास स्थित मिराती गांव में हुआ था. कांग्रेस में रहे प्रणब मुखर्जी के तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से भी रिश्ते काफी मधुर थे. उनकी मौत पर ममता बनर्जी ने भी कहा था कि उन्होंने अपना बड़ा भाई खो दिया है. उन्होंने आखिरी समय में संस्मरण ‘द प्रेसिडेंशियल इयर्स’ पूरी की थी. उसे प्रकाशित कर दी गयी है. इसमें कही गयी कई बातें चौंकानेवाली भी हैं. अपने संस्मरण में उन्होंने इंदिरा-नेहरू, कांग्रेस, नरेंद्र मोदी, ममता बनर्जी समेत कई विषयों पर बातें की हैं. पुस्तक प्रकाशित होने के बाद कई बातें अब सामने आ रही हैं. इनमें से कुछ वायरल भी हो रही हैं.

डिफरेंट स्टाइल्स, डिफरेंट टेम्परेंमेंट्स

प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि नेपाल राणा के शासन के बाद राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने राजशाही खत्म होने के बाद जवाहर लाल नेहरू को प्रस्ताव दिया था कि नेपाल को भारत का प्रांत बना दिया जाये. लेकिन, उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया था. अगर यही मौका उनकी बेटी इंदिरा गांधी को मिला होता, तो वह इसे हाथ से नहीं जाने देतीं.

नेहरू से अलग थे लाल बहादुर शास्त्री के फैसले

अपने संस्मरण में उन्होंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों को लेकर कई विचार दिये हैं. उन्होंने कहा है कि, ”सभी प्रधानमंत्रियों की कार्यशैली अलग होती है. लाल बहादुर शास्त्री ने कई ऐसे फैसले भी लिये जो उनके पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से बहुत अलग थे. एक ही पार्टी में रहने के बावजूद विदेश नीति, सुरक्षा और आंतरिक प्रशासन जैसे कई मुद्दे अलग-अलग हो सकते हैं.

कांग्रेस में नेतृत्व पर उठाया सवाल

उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस का साल 2014 में हार का बड़ा कारण करिश्माई नेतृत्व के खत्म होने की पहचान नहीं कर पाना है. इसीलिए मध्यम स्तर के नेताओं कि सरकार बन कर यूपीए सरकार रह गयी थी. कांग्रेस को मात्र 44 सीट मिलने को लेकर भी उन्होंने कई कारण गिनाये हैं.

नरेंद्र मोदी का भी किया जिक्र

प्रणब मुखर्जी ने नरेंद्र मोदी का भी जिक्र अपने संस्मरण में किया है. उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री के संसद में उपस्थित रहने से ही कामकाज में फर्क पड़ता है. जवाहलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, सभी संसद सत्र के दौरान सदन में मौजूद रहते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन सभी लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए. साथ ही उन्होंने नरेंद्र मोदी को विरोधी पक्ष की आवाज सुनने और समझाने की भी बात कही है. साथ ही देश को सभी मुद्दों कि जानकारी देने के लिए संसद में बोलने की भी सलाह दी है. उन्होंने नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल को विफल बताते हुए भी सवाल खड़े किये हैं.

ममता बनर्जी का यूपीए-2 से अलग होने का बताया कारण

प्रणब मुखर्जी ने बताया है कि यूपीए में एकमत नहीं होने के कारण ही साल 2012 में ममता बनर्जी ने यूपीए-2 सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. एफडीआई, सब्सिडाइज्ड गैस सिलेंडर और पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ रही कीमतों को लेकर यूपीए में एकमत नहीं था. उनकी चेतावनी को भी नहीं सुना गया, उसके बाद वह यूपीए-2 से अलग हो गयी थीं.

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