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प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में दायर किया रिव्यू पिटिशन, कहा- जुर्माना भरने का यह मतलब नहीं है कि मैंने सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार कर लिया

Prashant Bhushan files review petition in case of contempt of court in the Supreme Court : अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सोमवार को कहा कि अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन पर लगाये गये एक रुपये के सांकेतिक जुर्माने को भरने का यह मतलब नहीं है कि उन्होंने फैसला स्वीकार कर लिया है. आज प्रशांत भूषण ने इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की है.

नयी दिल्ली : अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सोमवार को कहा कि अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन पर लगाये गये एक रुपये के सांकेतिक जुर्माने को भरने का यह मतलब नहीं है कि उन्होंने फैसला स्वीकार कर लिया है. आज प्रशांत भूषण ने इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की है.

ज्ञात हो कि प्रशांत भूषण के दो ट्वीट को अदालत की अवमानना के रूप में देखा गया था और शीर्ष अदालत ने उन पर एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना लगाया था. शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जुर्माना जमा करने वाले भूषण ने कहा कि जुर्माना भरने के लिए उन्हें देश के कई कोनों से योगदान मिला है और इस तरह के योगदान से ऐसा ‘‘ट्रूथ फंड” (सत्य निधि) बनाया जायेगा जो उन लोगों की कानूनी मदद करेगा जिन पर असहमतिपूर्ण राय व्यक्त करने के लिए मुकदमा चलाया जाता है. भूषण ने जुर्माना भरने के बाद मीडिया से कहा, ‘‘सिर्फ इसलिए कि मैं जुर्माना भर रहा हूं इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने फैसला स्वीकार कर लिया है.

हम आज एक पुनर्विचार याचिका दायर कर रहे हैं. हमने एक रिट याचिका दायर की है कि अवमानना के तहत सजा के लिए अपील की प्रक्रिया बनाई जानी चाहिए.” वकील ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद की दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तारी पर भी बात की और कहा कि सरकार आलोचना बंद करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रही है.

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सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट करने के कारण आपराधिक अवमानना के दोषी भूषण पर एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना लगाया था. न्यायालय ने कहा था कि भूषण को जुर्माने की एक रुपये की राशि 15 सितंबर तक जमा करानी होगी और ऐसा नहीं करने पर उन्हें तीन महीने की कैद भुगतनी होगी तथा तीन साल के लिए वकालत करने पर प्रतिबंध रहेगा.

Posted By : Rajneesh Anand

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