‘बिहार में सिर्फ दो बड़ी पार्टियां, तीसरी पार्टी को हमेशा बैसाखी की जरूरत’, नीतीश कुमार पर प्रशांत किशोर का तंज

प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एक बार फिर निशाना साधा है. प्रशांत किशोर ने बुधवार को कहा कि बिहार की राजनीति में केवल दो बड़े खिलाड़ी हैं. JDU को सत्ता में बने रहने के लिए हमेशा बैसाखी की जरूरत रही है.

By Abhishek Anand | February 24, 2023 6:48 AM
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राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एक बार फिर निशाना साधा है. प्रशांत किशोर ने बुधवार को कहा कि बिहार की राजनीति में केवल दो बड़े खिलाड़ी हैं, बीजेपी और आरजेडी. मुख्यमंत्री की पार्टी जेडीयू को जीवित रहने के लिए हमेशा एक बैसाखी की जरूरत होती है.

प्रशांत किशोर ने याद दिलाया ‘लालू राज’

किशोर ने सीवान में कहा कि, लोग अभी भी लालू प्रसाद के कार्यकाल के बारे में सोचकर कांप उठते हैं. उस युग को आज भी ‘जंगल राज’ के रूप में याद किया जाता है. फिर भी मुसलमान आरजेडी को वोट देते हैं, क्योंकि मुसलमान कहते हैं कि वे बीजेपी को वोट नहीं दे सकते.

विकल्प की कमी से JDU सत्ता में-प्रशांत किशोर

उन्होंने आगे कहा कि जेडीयू की कोई स्वतंत्र पहचान नहीं है बल्कि विकल्पों की कमी है जो लोगों की पसंद को निर्धारित करती है. पार्टी की ओर से कोई महान कार्य नहीं किया गया है. यही कारण है कि नवंबर 2005 के बाद से नीतीश सरकार के पहले पांच वर्षों में कुछ प्रगति के बावजूद बिहार में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है. पहले कार्यकाल के बाद नीतीश कुमार ने भी दिशा खो दी.

  नहीं टिकेगा मौजूदा गठबंधन-प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने कहा कि, यह गठबंधन टिक नहीं सकता. उपेंद्र किशवाहा पार्टी से अलग हो गए हैं. कल कोई और बाहर होगा. यह खींचतान और दबाव बना रहेगा. 2015 में मैंने गठबंधन बनाने में मदद की थी, नीतीश कुमार या लालू प्रसाद ने नहीं. मैं गठबंधन की राजनीति की मजबूरियों को जानता हूं. सात दल एक साथ अधिक समय तक नहीं चल सकते. यह असंभव है

लगातर नीतीश पर हमलावर रहे हों प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर 2020 में जेडीयू से अलग हो गए थे. पिछले साल किशोर ने पश्चिम चंपारण जिले से ‘जन सूरज’ पैदल मार्च शुरू किया था. पिछले कुछ दिनों में प्रशांत किशोर ने बिहार की गठबंधन सरकार और नीतीश कुमार पर कई बार हमला बोला है. उन्होंने भविष्यवाणी की है कि सात दलों की महागठबंधन सरकार की 2025 तक टिकने की संभावना नहीं है.

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