‘तंगतोड़ा’ साधु कौन हैं? जिनका UPSC से कठिन होता है इंटरव्यू!
Prayagraj MahaKumbh 2025: श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाणी के देशभर में फैले लगभग पांच हजार आश्रमों, मंठों और मंदिरों के महंत व प्रमुख संत योग्य चेलों को तंगतोड़ा बनाने की सिफारिश करते हैं.
Prayagraj Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां अंतिम चरण में हैं. यहां देशभर से आए साधु और संतों का जमावड़ा हो रहा है. इनमें तंगतोड़ा साधु भी शामिल हैं, जिनका चयन बेहद कठिन प्रक्रिया से होता है. जो व्यक्ति अपने परिवार, माता-पिता और खुद का पिंडदान कर आध्यात्मिक मार्ग अपनाता है, उसे सात शैव अखाड़ों में नागा कहा जाता है, जबकि बड़ा उदासीन अखाड़े में ये तंगतोड़ा कहलाते हैं. ये अखाड़े की कोर टीम में शामिल होते हैं और इन्हें बनाने की प्रक्रिया अत्यंत जटिल होती है. तंगतोड़ा बनने के लिए किया जाने वाला साक्षात्कार संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की आईएएस परीक्षा से भी कठिन होता है.
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाणी के देशभर में फैले लगभग पांच हजार आश्रमों, मंठों और मंदिरों के महंत व प्रमुख संत योग्य चेलों को तंगतोड़ा बनाने की सिफारिश करते हैं. इन्हें रमता पंच, जो अखाड़े के इंटरव्यू बोर्ड के रूप में कार्य करते हैं, के सामने प्रस्तुत किया जाता है. इनका इंटरव्यू आईएएस और पीसीएस की तुलना में कठिन होता है क्योंकि पूछे गए सवालों के उत्तर किसी किताब में नहीं मिलते और कोई मॉक इंटरव्यू भी नहीं होता. यह प्रक्रिया इतनी कठिन है कि सिर्फ एक दर्जन चेले ही इसमें सफल हो पाते हैं. सफल होने पर चेलों को संगम में स्नान कराया जाता है और संन्यास व अखाड़े की परंपरा निभाने की शपथ दिलाई जाती है.
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अखाड़े में लाकर इष्ट देवता की पूजा के बाद उन्हें खुले आसमान के नीचे धूना के सामने 24 घंटे रखा जाता है. रमता पंच उनसे गोपनीय प्रश्न पूछते हैं, जिनके उत्तर केवल वास्तविक संत का सानिध्य पाने वाला चेला ही दे सकता है. जब वे पूरी तरह संतुष्ट हो जाते हैं कि चेला संन्यास परंपरा के योग्य है, तब तंगतोड़ा की प्रक्रिया पूरी की जाती है. श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत महेश्वरदास कहते हैं कि अखाड़े की परंपरा को आत्मसात करने वाले चेलों को ही तंगतोड़ा बनाया जाता है और यह प्रक्रिया गोपनीय सवालों के आधार पर पूरी की जाती है.
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