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निर्भया के दोषियों को फांसी देने की तैयारी पूरी

निर्भया के दोषियों को फांसी देने के तैयारी पूरी हो चुकी है, दोषियों को कल साढ़े पांच बजे दे दी जाएगी फांसी

तारीख पर तारीख मिलने के बाद आखिरकार अब निर्भया और उनके परिजनों के लिए इंसाफ मिलने का दिन आ ही गया है. दरअसल कोर्ट के नई तारीख के अनुसार कल यानी 20 मार्च को ही सुबह साढ़े पांच बजे दोषियों को फांसी की सजा दे दी जाएगी. और इससे लेकर सारी तैयारियां कर ली गयी है.

इससे पहले आपको बता दें कि निर्भया के दोषी पवन ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी रोकने के लिए याचिका दायर की थी जिसमें वो अपने आप को नाबालिग होने दलील देकर पुनर्विचार याचिका दायर की थी जिसे आज सुबह में ही अस्वीकार कर लिया गया.

निर्भया के एक और गुनाहगार मुकेश ने दिल्ली हाई कोर्ट में फांसी की सजा पर रोक लगाने के लिए कल याचिका डाली. जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया.

कैसे की गयी है फांसी की तैयारी

फांसी देने के लिए तीनों दोषियों को अलग अलग सेल में रखा गया है, उसके आस पास के सेल को खाली करा दिया गया है. उनके सेल के बाहर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है. ताकि वो लोग अपने आप को कोई भी नुकसान न पहुंचा सके. फांसी के लिए उनलोगों को विशेष तौर का परिधान पहनाया गया है. जो लाल रंग का है.

कैसे दी जाती है फांसी

इंडिया टीवी के इंटरव्यू में पवन जल्लाद ने बताया कि फांसी देने हमें वहां पर बुलाया जाता है उसके बाद हमारे साथ मीटिंग की जाती है कि कैसे कैदी के पैर बांधने होते हैं कैसी रस्सी बांधनी होती है.

फांसी के प्रक्रिया के बारे में बताते हुए पवन जल्लाद ने कहा कि जो समय निर्धारित होता है उससे 15 मिनट पहले चल देते हैं हम उस समय तक तैयार रहते हैं फांसी की तैयारी करने में के से एक से डेढ़ घंटा समय लगता है.

फांसी घर लाने से पहले कैदी के दोनों हाथ को हाथकड़ी या फिर रस्सी से बांध दी जाती है. जिसे दो सिपाही पकड़ कर लाते हैं

बैरक से फांसी घर लाने की प्रक्रिया पर बात करते हुए कहा कि फांसी घर से दूरी के आधार पर फांसी के तय समय से पहले उन्हें लाना शुरू कर देते हैं.

फांसी देते समय 4 से पांच सिपाही वहां पर मौजूद होते हैं वह कैदी को फांसी के तख्ते पर खड़े करते हैं. इसके एक दिन पहले हमारी जेल अधीक्षक और डिप्टी जेलर के साथ मीटिंग होती है.

जहां पर डॉक्टर्स भी मौजूद होते हैं.

फांसी देते कोई किसी से बात नहीं करता सब लोग इशारे से बात करते हैं इसकी वजह यह है कि वहां पर कैदी को कोई डिस्टर्ब न हो या फिर वहां पर कैदी कोई ड्रामा न खड़ा कर दें.

फांसी देने में 10 से 15 मिनट का समय लगता है. कैदी के हाथ पैर दोनों उस दौरान बांध दिए जाते हैं. और उनके उनके सर पर टोपा डाल दिया जाता है

बनाया जाता है गोल निशान

कैदी को खड़े करने के स्थान पर गोल निशान बनाया जाता है, जिसके अंदर कैदी के पैर होते हैं. इसके बाद जैसे ही जेल अधीक्षक रुमाल से इशारा करता है हमलोग लीवर खींच देते हैं उसके बाद कैदी सीधे कुएं में टंग जाता है. 15 मिनट बाद कैदी का शरीर शांत हो जाता है. जिसके बाद डॉक्टर्स कैदी के पास पहुंच कर उनकी हार्ट बीट चेक करते हैं.

फांसी के बाद की प्रक्रिया

हार्ट बीट चेक करने के बाद डॉक्टर्स के इशारे के अनुसार उन्हें उतार दिया जाता है. उसके बाद उसे चादर से ढक दिया जाता है.

उसके बाद हम फंदा और रस्सी एक तरफ रख देते हैं.

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