एक तरफ किसानों के आंदोलन (Kisan Andolan) जोर पकड़ते आंदोलन ने सरकार की नींद उड़ा दी है. तो दूसरी ओर नागरिकता संशोधन कानून (CAA-NRC) का विरोध एक बार फिर जोर पकड़ सकता है. और इस कानून के विरोध में दिल्ली के शाहीनबाग और जामिया नगर में धरना-प्रदर्शन शुरू हो सकता हैं. सूत्रों के हवाले से जो खबर मिल रही है उसकी माने तो जेएनयू के छात्र ऐसा कदम उठा सकते हैं. अगर एसा होता है तो सरकार के लिए यह दौहरी मुसीबत होगी.
वहीं, नागरिकता संशोधन कानून के विरोध को जोर पकड़ने की संभीवना को देखते हुए सरकार की ओर से शाहीनबाग में भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है. एक तरह से अघोषित धारा 144 लगा दी गई है. भीड़ को किसी जगह एकतित्र नहीं होने दिया जा रहा है. दिल्ली पुलिस के अलावा प्रशासन ने पारा मिलिट्री फोर्स को भी तैनात किया है.
दरअसल, गाजीपुर बॉर्डर पर जामिया के कुछ छात्र किसानों के समर्थन के बहाने पहुंचे थे. लेकिन आंदोलनकारी किसानों ने जामिया के छात्रों को बैठने के लिए मंच नहीं दिया, उन्हें वापस भेज दिया. किसानों का साफ कहना था कि यह लड़ाई उनकी है, इस कोई और अपना राजनीति नहीं कर सकता है. और न ही कोई आंदोलन को कोई दूसरा रुप दे सकता है.
क्या था शाहिनबाग प्रदर्शन : गौरतलब है कि, केन्द्र सरकार की नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली के मौलाना मोहम्मद अली जौहर मार्ग और शाहीनबाग जैसे इलाकों में लोगों ने धरना प्रदर्शन किया था. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में जाड़े की सर्द रातों में महिलाएं, बच्चे और बूढ़ी औरतें बीच सड़क पर और खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठीं.
शाहीन बाग की तर्ज पर देश के कई हिस्सों में सीएए-एनआरसी के खिलाफ महिलाओं और बच्चों ने मोर्चा खोला. शाहीनबाग में लोगों का धरना सौ दिनों से भी ज्यादा चला था. इस दौरान देश के कई राज्यों और नगरों में भी धरने प्रदर्शन किये गये थे, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए बाद में धरना स्थगित कर दिया गया था.
Posted by : Pritish Sahay