Coronavirus के मद्देनजर हजारों कैदियों को पेरोल पर रिहा करने की तैयारी

देशभर की खचाखच भरी जेलों से हजारों कैदियों को अंतरिम जमानत या पेरोल पर रिहा किया जा रहा है. यह अभूतपूर्व कदम कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने और किसी भी तरह के संघर्ष से बचने के लिए उठाया गया है. अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि कैदियों से ठसाठस भरी दिल्ली की तिहाड़ जेल से 1,500 कैदियों के दूसरे जत्थे को जल्द रिहा किया जा सकता है.

By Mohan Singh | March 30, 2020 8:43 PM
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नयी दिल्ली : देशभर की खचाखच भरी जेलों से हजारों कैदियों को अंतरिम जमानत या पेरोल पर रिहा किया जा रहा है. यह अभूतपूर्व कदम कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने और किसी भी तरह के संघर्ष से बचने के लिए उठाया गया है. अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि कैदियों से ठसाठस भरी दिल्ली की तिहाड़ जेल से 1,500 कैदियों के दूसरे जत्थे को जल्द रिहा किया जा सकता है.

अधिकारियों ने बताया कि एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर से कुल 3,000 कैदियों को रिहा किए जाने की योजना है जिनमें से पहले चरण में 400 से अधिक कैदियों को रिहा किया गया है. जेल महानिदेशालय की ओर से एक आधिकारिक बैठक के लिए उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली की 16 जेलों की कुल क्षमता 10,026 कैदियों को रखने की है लेकिन इनमें 17,440 कैदी रखे गए हैं, इनमें से 14,355 विचाराधीन कैदी हैं.

सर्वाधिक संख्या में कारावास तिहाड़ में हैं जबकि कुछ मंडोली और कुछ रोहिणी में हैं. समीक्षा बैठक में बताया गया कि कैदियों में कोविड-19 का एक भी मामला सामने नहीं आया है और जेल परिसरों के कोने-कोने को नियमित रूप से सैनेटाइज तथा साफ किया जा रहा है क्योंकि कारावास संक्रमण के संभावित क्षेत्र हो सकते हैं.

उच्चतम न्यायालय ने 23 मार्च को सभी राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि कोरोना वायरस की महामारी के खतरे को देखते हुये जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने और उन्हें पेरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार करें जिन्हें सात साल तक की कैद हुयी है या सात साल तक की सजा के आरोप में विचाराधीन हैं.

शीर्ष अदालत ने कहा कि जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों का होना चिंता की बात है, खासकर इस महामारी के दौर में यह ज्यादा चिंता का विषय है. न्यायालय ने निर्देश दिया कि एक अन्य मामले में गठित विचाराधीन कैदी समीक्षा समिति की प्रत्येक सप्ताह बैठक होगी और वह संबंधित प्राधिकारियों के परामर्श से निर्णय लेगी.

दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई जिसमें जेल नियमों में एक नया प्रावधान जोड़ते हुए करीब 1,500 विचाराधीन कैदियों को आठ हफ्ते की पेरोल देने की प्रक्रिया तेज करने का फैसला हुआ.

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