राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधन किया. अपने संबोधन में उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था, महिला सशक्तीकरण, किसान, जी-20 से लेकर चंद्रयान-3 तक की चर्चा की. उन्होंने कहा कि मुश्किल दौर में भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है बल्कि दूसरों के लिए आशा का स्रोत भी बनी है. यहां पढ़ें राष्ट्रति मुर्मू के भाषण की प्रमुख बातें.
भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरों के लिए आशा का स्रोत बनी : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि विश्व की अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं के नाजुक दौर से गुजरने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनिश्चितता का वातावरण होने के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है बल्कि दूसरों के लिए आशा का स्रोत भी बनी है. विश्व की अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं नाजुक दौर से गुजर रही हैं. वैश्विक महामारी के कारण हुए आर्थिक संकट से विश्व समुदाय पूरी तरह बाहर नहीं आ पाया था कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर हो रही घटनाओं से अनिश्चितता का वातावरण और गंभीर हो गया. फिर भी सरकार कठिन परिस्थितियों का अच्छी तरह से सामना करने में सक्षम रही हैं. देश ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है और प्रभावशाली सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि भी दर्ज की है.
चंद्रयान- 3 पर क्या बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नई ऊंचाइयों को छू रहा है और उत्कृष्टता के नये आयाम स्थापित कर रहा है. इसरो ने चंद्रयान- 3 लॉन्च किया है, जो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है. चंद्रमा का अभियान अन्तरिक्ष के हमारे भावी कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है. हमें बहुत आगे जाना है.
भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अग्रणी स्थान बनाया है : राष्ट्रपति मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा आज हम देख रहे हैं कि भारत ने न केवल विश्व मंच पर अपना यथोचित स्थान बनाया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में अपनी प्रतिष्ठा को भी बढ़ाया है. अपनी यात्राओं और प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत के दौरान मैंने अपने देश के प्रति उनमें एक नए विश्वास और गौरव का भाव देखा है. मुर्मू ने कहा भारत पूरी दुनिया में विकास लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है तथा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अग्रणी स्थान बनाया है और जी-20 देशों की अध्यक्षता का दायित्व भी संभाला है. उन्होंने कहा, चूंकि जी-20 समूह दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह हमारी वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का अद्वितीय अवसर है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता देने की अपील की
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिलाओं के विकास को स्वाधीनता संग्राम का आदर्श बताते हुए सोमवार को देशवासियों से महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता देने की अपील की ताकि आधी आबादी साहस के साथ हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि आज की महिलाओं ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लिया है जिनमें कुछ दशकों पहले उनकी भागीदारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. उन्होंने कहा, मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि हमारे देश की महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. आर्थिक सशक्तीकरण से परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत होती है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीरांगनाओं को किया याद
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मातंगिनी हाजरा और कनकलता बरूआ जैसी वीरांगनाओं ने भारत माता के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिये. उन्होंने कहा कि मां कस्तूरबा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ कदम मिलाकर सत्याग्रह के मार्ग पर चलती रही. उन्होंने कहा कि सरोजिनी नायडू, अम्मू स्वामीनाथन, रमा देवी, अरुणा आसफ अली और सुचेता कृपलानी जैसी महिला विभूतियों ने अपने बाद की सभी पीढ़ियों की महिलाओं के लिए आत्म विश्वास के साथ देश तथा समाज की सेवा करने के प्रेरक आदर्श प्रस्तुत किए हैं.
भारत का नागरिक होना हमारी सर्वोपरी पहचान
राष्ट्रपति ने कहा, जब हम स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाते हैं तो वास्तव में हम एक महान लोकतंत्र के नागरिक होने का उत्सव भी मनाते हैं. हममें हर एक की अलग अलग पहचान है. जाति पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा हमारी अपने परिवार और कार्य क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है. उन्होंने कहा, लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे उपर है और वह है भारत का नागरिक होना. हम सभी समान रूप से इस महान देश के नागरिक हैं. हम सब को समान अवसर और अधिकार उपलब्ध हैं और हमारे कर्तव्य भी समान हैं.
महात्मा गांधी तथा अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को जगाया
स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी तथा कई अन्य असाधारण और दूरदर्शी विभूतियों के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन अद्वितीय आदर्शो से अनुप्रमाणित था. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी तथा अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को फिर से जगाया और देश की महान सभ्यता के मूल्यों का जन जन में संचार किया. राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के ज्वलंत उदाहरण का अनुसरण करते हुए स्वाधीनता संग्राम की अधारशिला ‘सत्य और अहिंसा’ को पूरी दुनिया के अनेक राजनीतिक संघर्ष में सफलतापूर्वक अपनाया गया है.