गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कई अहम मुद्दों का जिक्र किया. इस अभिभाषण में कोरोना संक्रमण, देश की आर्थिक स्थिति, आत्मनिर्भर भारत, सेना के जवान सहित कई अहम मुद्दों का जिक्र रहा. राष्ट्रपति ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा, 11वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर मैं सभी मतदाताओं को, विशेषकर हमारे उन युवा मतदाताओं को बधाई देता हूं, जिन्हें पहली बार मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ है. आज से आपको, भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में और देश का भविष्य तय करने में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर प्राप्त हो रहा है.
गणतांत्रिक प्रणाली का समृद्ध इतिहास
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में भारत के गणतांत्रिक प्रणाली की चर्चा की उन्होंने कहा, भारत में गणतांत्रिक प्रणाली का समृद्ध इतिहास रहा है . वैशाली, कपिलवस्तु और मिथिला की परंपरा से भारत ने यह सीखा है कि शासन पर, समाज के किसी एक वर्ग या वंश का एकाधिकार नहीं होता है. लोकतंत्र में ‘लोक’ यानि जनता की इच्छा ही सर्वोपरि होती है. योग्यता, धर्म, नस्ल, जाति के आधार पर कोई भेदभाव न करते हुए, हर पुरुष या महिला, अमीर या ग़रीब को मतदान का अधिकार है और हर व्यक्ति के मत का महत्व भी समान रखा गया है.
इसके लिए हम सब अपने संविधान-निर्माताओं के ऋणी हैं. पिछले वर्ष, कोविड महामारी के दौरान बिहार विधान-सभा, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में सफल एवं सुरक्षित चुनावों का सम्पन्न होना हमारे लोकतन्त्र की असाधारण उपलब्धि है.मैं सभी देशवासियों को ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ की बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि हम सब मिलकर, अपने देश में लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए अपना योगदान निरंतर देते रहेंगे.
देश के जवानों को किया याद
देश के राष्ट्रपति ने जवानों को भी याद किया, सियाचिन व गलवान घाटी में, माइनस 50 से 60 डिग्री तापमान में, सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर, जैसलमर में, 50 डिग्री सेन्टीग्रेड से ऊपर के तापमान में, झुलसा देने वाली गर्मी में – धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में – हमारे सेनानी भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं.हमारे सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी देशवासियों को गर्व है.हमारे सभी किसान, जवान और वैज्ञानिक विशेष बधाई के पात्र हैं और कृतज्ञ राष्ट्र गणतन्त्र दिवस के शुभ अवसर पर इन सभी का अभिनंदन करता है.
कोरोना का जिक्र
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने कहा, पिछले वर्ष, जब पूरी मानवता एक विकराल आपदा का सामना करते हुए ठहर सी गई थी, उस दौरान, मैं भारतीय संविधान के मूल तत्वों पर मनन करता रहा. मेरा मानना है कि बंधुता के हमारे संवैधानिक आदर्श के बल पर ही, इस संकट का प्रभावी ढंग से सामना करना संभव हो सका है.
मैं यहां उन डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य-कर्मियों, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े प्रशासकों और सफाई-कर्मियों का उल्लेख करना चाहता हूं जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर पीड़ितों की देखभाल की है. बहुतों ने तो अपने प्राण भी गंवा दिए.मेरे विचार में, सन 2020 को सीख देने वाला वर्ष मानना चाहिए. पिछले वर्ष के दौरान प्रकृति ने बहुत कम समय में ही अपना स्वच्छ और निर्मल स्वरूप फिर से प्राप्त कर लिया था. ऐसा साफ-सुथरा प्राकृतिक सौंदर्य, बहुत समय के बाद देखने को मिला.
आपदा को बदला अवसर में
राष्ट्रपति ने कहा, आपदा को अवसर में बदलते हुए, प्रधानमंत्री ने ‘आत्म-निर्भर भारत अभियान’ का आह्वान किया. हमारा जीवंत लोकतंत्र, हमारे कर्मठ व प्रतिभावान देशवासी – विशेषकर हमारी युवा आबादी – आत्म-निर्भर भारत के निर्माण के हमारे प्रयासों को ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं.
इस अभियान के तहत माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज़ को बढ़ावा देकर तथा स्टार्ट-अप इको सिस्टम को और अधिक मजबूत बनाकर आर्थिक विकास के साथ-साथ रोजगार उत्पन्न करने के भी कदम उठाए गए हैं. आत्म-निर्भर भारत अभियान एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है.नए भारत के समावेशी समाज का निर्माण करने के लिए हम शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषाहार, वंचित वर्गों के उत्थान और महिलाओं के कल्याण पर विशेष बल दे रहे हैं.
नए भारत के समावेशी समाज का निर्माण करने के लिए हम शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषाहार, वंचित वर्गों के उत्थान और महिलाओं के कल्याण पर विशेष बल दे रहे हैं.