Presidential Election: आगामी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर सियासी गतिविधियां तेज हो गई है. सत्ता पक्ष और विपक्ष राष्ट्रपति पद के लिए अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम पर मंथन करने में जुट गए है. इसी कड़ी में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर रविवार को पार्टी नेताओं की अहम बैठक बुलाई गई. इस बैठक में राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की बात सामने आ रही है. वहीं, दूसरी ओर सामने आ रही खबर के मुताबिक, राष्ट्रपति चुनाव को लेकर 21 जून को एनसीपी प्रमुख शरद पवार द्वारा बुलाई गई विपक्ष की बैठक में संभवत: ममता बनर्जी भाग नहीं ले पाएंगी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले से निर्धारित कार्यक्रम के कारण आगामी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर 21 जून को एनसीपी (NCP) प्रमुख शरद पवार द्वारा बुलाई गई विपक्ष की बैठक में उनके शामिल होने की संभावना नहीं है. तृणमूल कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. पदाधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित बैठक में तृणमूल कांग्रेस का कोई वरिष्ठ नेता मौजूद रहेगा. तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कारण बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगी.
तृणमूल कांग्रेस के पदाधिकारी ने बताया कि ममता बनर्जी ने बैठक में शामिल होने की अपनी संभावनाओं के संबंध में शरद पवार को भी बता दिया है. लेकिन, हमारी पार्टी का एक नेता वहां मौजूद रहेगा. बता दें कि आगामी राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए 15 जून को दिल्ली में बनर्जी द्वारा बुलाई गई इस तरह की पहली बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को बकरार रखने वाला एक साझा उम्मीदवार विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में चुना जाएगा. बैठक में करीब 17 दलों ने भाग लिया था.
उल्लेखनीय है कि मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और उनके उत्तराधिकारी के लिए 18 जुलाई को चुनाव होना है. राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और दिल्ली तथा केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी सहित सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं. राज्यसभा और लोकसभा या राज्यों की विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल होने के पात्र नहीं हैं, इसलिए वे चुनाव में भाग लेने के हकदार नहीं होते. इसी तरह विधान परिषदों के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदाता नहीं होते हैं. लगभग 10.86 लाख मतों के निर्वाचक मंडल में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास 48 प्रतिशत से अधिक मत होने का अनुमान है और उसे कुछ क्षेत्रीय दलों से समर्थन मिलने की उम्मीद है.
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