मोदी सरकार ने जारी किया 100 रुपये का सिक्का, आपने देखा क्या? इसकी खूबियां कैसे है बाकी सिक्कों से अलग

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra modi) ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया (Rajmata Vijaya Raje Scindia) के जन्म शताब्दी के अवसर पर 100 रुपये के स्मारक सिक्के (100 Rs Coin) का अनावरण किया. सरकार की ओर से राजमाता सिंधिया के सम्मान में यह सिक्का जारी किया गया है. इस अवसर पर मोदी ने कहा कि पिछली शताब्दी में भारत को दिशा देने वाले कुछ एक व्यक्तित्वों में राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी शामिल थीं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2020 12:06 PM
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नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra modi) ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया (Rajmata Vijaya Raje Scindia) के जन्म शताब्दी के अवसर पर 100 रुपये के स्मारक सिक्के (100 Rs Coin) का अनावरण किया. सरकार की ओर से राजमाता सिंधिया के सम्मान में यह 100 रुपये का सिक्का जारी किया गया है. इस अवसर पर मोदी ने कहा कि पिछली शताब्दी में भारत को दिशा देने वाले कुछ एक व्यक्तित्वों में राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी शामिल थीं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि राजमाताजी केवल वात्सल्यमूर्ति ही नहीं थी. वो एक निर्णायक नेता थीं और कुशल प्रशासक भी थीं. स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आजादी के इतने दशकों तक, भारतीय राजनीति के हर अहम पड़ाव की वो साक्षी रहीं. आजादी से पहले विदेशी वस्त्रों की होली जलाने से लेकर आपातकाल और राम मंदिर आंदोलन तक, राजमाता के अनुभवों का व्यापक विस्तार रहा है.

मोदी ने कहा कि हम में से कई लोगों को उनसे बहुत करीब से जुड़ने का, उनकी सेवा, उनके वात्सल्य को अनुभव करने का सौभाग्य मिला है. राष्ट्र के भविष्य के लिए राजमाता ने अपना वर्तमान समर्पित कर दिया था. देश की भावी पीढ़ी के लिए उन्होंने अपना हर सुख त्याग दिया था. राजमाता ने पद और प्रतिष्ठा के लिए न जीवन जीया, न राजनीति की.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे कई मौके आए जब पद उनके पास तक चलकर आए. लेकिन उन्होंने उसे विनम्रता के साथ ठुकरा दिया. एक बार खुद अटल जी और आडवाणी जी ने उनसे आग्रह किया था कि वो जनसंघ की अध्यक्ष बन जाएं. लेकिन उन्होंने एक कार्यकर्ता के रूप में ही जनसंघ की सेवा करना स्वीकार किया. राजमाता एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व थीं.

मोदी ने कहा कि साधना, उपासना, भक्ति उनके अन्तर्मन में रची बसी थीलेकिन जब वो भगवान की उपासना करती थीं, तो उनके पूजा मंदिर में एक चित्र भारत माता का भी होता था. भारत माता की भी उपासना उनके लिए वैसी ही आस्था का विषय था. राजमाता के आशीर्वाद से देश आज विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. ये भी कितना अद्भुत संयोग है कि रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने जो संघर्ष किया था, उनकी जन्मशताब्दी के साल में ही उनका ये सपना भी पूरा हुआ है.

बता दें कि राजघराने से ताल्लुक रखने वाली राजमाता सिंधिया भाजपा के बड़े चेहरों में से एक थीं और हिंदुत्व मुद्दों पर काफी मुखर थीं. उनका जन्म 12 अक्टूबर, 1919 को हुआ था. उनकी बेटियां वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और पौत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं.

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