प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को देश के नये संसद भवन का शिलान्यास और भूमि पूजन करेंगे. मालूम हो कि देश के सबसे भव्य भवनों में शामिल वर्तमान संसद भवन का निर्माण प्रसिद्ध वास्तुकार, सर एडविन लुटियंस और सर हरबर्ट बेकर की निगरानी में किया गया था. संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को द ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी. भवन का उद्घाटन भारत के तत्कालीन वायसरॉय, लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को किया था.
वर्तमान संसद भवन एक वृहत वृत्ताकार भवन है. इसका व्यास 560 फीट है. इसकी परिधि एक-तिहाई मील है और इसका क्षेत्रफल करीब छह एकड़ है. संसद भवन की पहली मंजिल के खुले बरामदे के किनारे पर क्रीम रंग के बलुई पत्थर के 144 स्तंभ लगे हुए हैं, जिनकी ऊंचाई 27 फीट है. ये स्तंभ इस भवन को एक अनूठा आकर्षण और गरिमा प्रदान करते हैं. पूरा संसद भवन लाल बलुई पत्थर की सजावटी दीवार से घिरा हुआ है, जिसमें लोहे के द्वार लगे हुए हैं. कुल मिलाकर इस भवन में 12 द्वार हैं. भवन का निर्माण छह वर्षों में पूरा हुआ था. इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आयी थी. सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली की पहली बैठक 19 जनवरी, 1927 को संसद भवन में हुई.
वर्तमान संसद भवन कई ऐतिहासिक अवसरों का साक्षी रहा है. वर्ष 1921 में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली और काउंसिल ऑफ स्टेट्स की स्थापना के साथ यहीं पर भारतीय विधानमंडल की यात्रा शुरू हुई थी. ब्रिटेन द्वारा भारत को सत्ता का हस्तांतरण भी इसी परिसर के भीतर हुआ था. भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करनेवाली संविधान सभा ने भी संसद के केंद्रीय कक्ष में बैठकें की थीं.
स्वतंत्र भारत के इतिहास में 13 मई, 1952 को आयोजित पहले आम चुनाव के माध्यम से निर्वाचित जन प्रतिनिधियों ने लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों के रूप में पहली बैठक का साक्षी भी संसद भवन रहा है. उसके बाद से भारत का संसद देशवासियों की मार्गदर्शक रही है. भारत के संविधान द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलते हुए देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर कर रही है.
संसद भवन का निर्माण समय-समय पर आवश्यकतानुसार होता रहा है. संसद भवन का अंतिम विस्तार साल 2017 तक किया गया. संसद भवन की संपदा में संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय सौध, संसदीय सौध विस्तार भवन और संसदीय ज्ञानपीठ और इसके आसपास के विस्तृत लॉन शामिल हैं. संसद भवन परिसर में संसदीय सौध, संसदीय ज्ञानपीठ और संसदीय सौध विस्तार भवन का निर्माण क्रमशः 1975, 2002 और 2017 में हुआ.
संसद भवन का निर्माण 18 जनवरी, 1927 को किया था. यानी, 93 साल से अधिक समय बीत चुका है. इसलिए भवन में आधुनिक संचार, सुरक्षा और भूकंप रोधी व्यवस्थाएं उपलब्ध कराना कठिन कार्य है. इस भवन का पुनः विकास करने में भी कुछ कठिनाइयां हैं. इसलिए इसमें आवश्यक सुधार और व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने में इसके ढांचे और स्वरूप को नुकसान पहुंच सकता है.
समय के साथ विधायी और संसदीय कार्य के परिमाण और जटिलता कई गुना बढ़ गयी है. कार्यक्षेत्र का भी विस्तार हुआ है. इसलिए लंबे अरसे से नये संसद भवन की जरूरत महसूस की जा रही थी. पिछले कुछ वर्षों में अनेक सदस्यों ने भी आधुनिक और उच्च प्रौद्योगिकी सुविधाओं से युक्त भवन की आवश्यकता पर बल दिया है, ताकि वे अपने निर्वाचकों की आवश्यकताओं पर सार्थक ढंग से ध्यान दे सकें और लोक महत्व के मुद्दों का शीघ्रातिशीघ्र समाधान कर सकें.
नये संसद भवन के निर्माण का प्रस्ताव पांच अगस्त, 2019 को लोकसभा और राज्यसभा में किया गया था. इस प्रस्ताव को राज्यसभा में भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने पेश किया था.
चार मंजिला नये संसद भवन का निर्माण 971 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 64500 वर्गमीटर क्षेत्रफल में किये जाने का प्रस्ताव है. इसका निर्माण भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा कर लिया जायेगा. प्रत्येक संसद सदस्य को पुनःनिर्मित श्रम शक्ति भवन में कार्यालय के लिए 40 वर्ग मीटर स्थान उपलब्ध कराया जायेगा, जिसका निर्माण 2024 तक पूरा किया जायेगा.
नये संसद भवन का डिजाइन मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, अहमदाबाद द्वारा तैयार किया गया है. इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जायेगा. नये भवन को सभी आधुनिक दृश्य-श्रव्य संचार सुविधाओं और डाटा नेटवर्क प्रणालियों से सुसज्जित किया जायेगा. यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि निर्माण कार्य के दौरान संसद के सत्रों के आयोजन में कम-से-कम व्यवधान हो और पर्यावरण संबंधी सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाये.
तेजी से बदलते दौर में यह आवश्यक है कि भावी आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाये. प्रस्तावित नये संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. इसमें संयुक्त सत्र के दौरान 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था भी होगी. इसी प्रकार, राज्यसभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. नये संसद भवन में भारत की गौरवशाली विरासत को भी दर्शाया जायेगा. देश के कोने-कोने से आये दस्तकार और शिल्पकार अपनी कला और योगदान के माध्यम से इस भवन में सांस्कृतिक विविधता का समावेश करेंगे.
भारतीय लोकतंत्र समय की कसौटी पर खरा उतरा है और विगत वर्षों में सुदृढ़ होता गया है. समय के साथ, लोकतांत्रिक संस्थानों और प्रक्रियाओं में लोगों का विश्वास और गहरा हुआ है और उनके मनोभाव मुखरित होने से वे लाभान्वित भी हुए हैं. नया संसद भवन, भारत के लोकतंत्र और भारतवासियों के गौरव का प्रतीक होगा, जो ना केवल हमारे गौरवशाली इतिहास अपितु, हमारे लोगों की शक्ति, एकता और विविधता का भी परिचय देगा.