Pritam Singh chakrata Election Results 2022: उत्तराखंड में कांग्रेस के सरकार बनाने की स्थिति में हरीश रावत और प्रीतम सिंह दोनों को ही सीएम की कुर्सी के लिए प्रबल दावेदार बताया जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस के लिए बड़ा चेहरा हैं. उनकी वजह से ही कांग्रेस चकराता विधानसभा सीट को अपने लिए सुरक्षित मानती है. इस बार भी प्रीतम सिंह को चकराता से उम्मीदवार बनाया गया है.
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चकराता विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह की मजबूत पकड़ मानी जाती है. दरअसल, उत्तराखंड कांग्रेस में नंबर 2 की हैसियत रखने वाले नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने अपनी राजनीति से कांग्रेस के लिए चकराता को एक सुरक्षित सीट बना दिया है. वे यहां से लगातार पांच बार चुनाव जीतते आ रहे हैं. हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हुई थी. लेकिन, इसके बावजूद प्रीतम सीट बचाने में सफल रहे थे.
कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह के निजी जीवन की बात करें तो उनका जन्म 11 नवंबर 1958 को चकराता के ग्राम विरनाड में हुआ था. उनके पिता पूर्व मंत्री स्व. गुलाब सिंह खुद एक बड़े राजनेता रहे थे. वे 4 बार मसूरी और 4 बार चकराता से विधायक रहे थे. ऐसे में राजनीति उन्हें विरासत में मिली थी. उन्होंने इसे अच्छे से संजोया भी और उसका विस्तार भी किया. प्रीतम सिंह कानून की भी अच्छी खासी समझ रखते हैं. दरअसल, उनकी शिक्षा भी इसी क्षेत्र की रही है. उन्होंने कानून की पढ़ाई देहरादून के डीएवी कॉलेज से पूरी की है और उत्तराखंड बार काउंसिल के वे सदस्य भी रहे हैं.
प्रीतम सिंह ने अपना सियासी सफर 1988 में शुरू किया था, तब उन्हें चकराता का ब्लॉक प्रमुख बनाया गया था. लेकिन, सिर्फ तीन साल के अंदर प्रीतम सिंह ने राजनीति की मुख्यधारा में कदम रख दिया और चुनावी मैदान में उनके उतरने का सिलसिला शुरू हो गया. अब तक अपने राजनीतिक जीवन में प्रीतम ने 7 विधानसभा चुनाव लड़ा हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि उन्हें सिर्फ दो बार ही 1991 और 1996 में हार का सामना करना पड़ा है. वे दो बार कांग्रेस की सरकार के दौरान कैबिनेट मंत्री रहे हैं. लोगों के लिए काम भी इतना कर दिया कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार भी मिल चुका है. उनकी कुछ योजनाएं और विकास कार्य ऐसे रहे हैं जिस वजह से लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई है.
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कहा जाता है कि प्रीतम सिंह कांग्रेस हाईकमान के भी गुड बुक्स में रहते हैं. उनसे उनका संपर्क लगातार रहता है. सीएम की पहली पसंद जरूर हरीश रावत कहे जाते हैं, लेकिन दूसरी पसंद के तौर पर रेस में सबसे आगे प्रीतम सिंह दिखाई पड़ते हैं. प्रीतम सिंह एक जमाने में हरीश रावत कैंप के मजबूत सिपाही माने जाते थे. प्रीतम सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने तक भी दोनों के बीच संबंध मधुर ही थे. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद प्रीतम सिंह का तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्दयेश के साथ करीबी बढ़ती चली गई. इसी करीबी ने प्रीतम सिंह को हरीश रावत से दूर कर दिया और दोनों के बीच खाई बढ़ती चली गई. अब स्थिति ये है कि दोनों एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.