25 % डोज लेकर प्राइवेट अस्पतालों ने किया सिर्फ 7.5 % वैक्सीनेशन, उठ रहे सवाल
केंद्र सरकार ने नयी टीकाकरण नीति के तहत निजी क्षेत्र के लिए वक्सीन का 25 फीसदी कोटा आरक्षित किया है. इसके तहत केंद्र को मिलने वाले कुल वैक्सीन में से 25 फीसदी प्राइवेट सेक्टर के अस्पतालों को दिये जाएंगे. पर 30 मई तक देश में जितने भी टीकाकरण हुए हैं उनका जब आकलन किया गया तो पता चला कि कुल वैक्सीनेशन में प्राइवेट अस्पतालों की भागीदारी महज 7.5 फीसदी है. यानि 25 फीसदी वैक्सीन लेकर प्राइवेट अस्पताल सिर्फ 7.5 फीसदी ही वैक्सीनेशन कर पाये हैं.
केंद्र सरकार ने नयी टीकाकरण नीति के तहत निजी क्षेत्र के लिए वक्सीन का 25 फीसदी कोटा आरक्षित किया है. इसके तहत केंद्र को मिलने वाले कुल वैक्सीन में से 25 फीसदी प्राइवेट सेक्टर के अस्पतालों को दिये जाएंगे. पर 30 मई तक देश में जितने भी टीकाकरण हुए हैं उनका जब आकलन किया गया तो पता चला कि कुल वैक्सीनेशन में प्राइवेट अस्पतालों की भागीदारी महज 7.5 फीसदी है. यानि 25 फीसदी वैक्सीन लेकर प्राइवेट अस्पताल सिर्फ 7.5 फीसदी ही वैक्सीनेशन कर पाये हैं.
कोविन एप में दिये गये दर्शाए गये, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 750 जिलों में सिर्फ 10 राज्यो में ही प्राइवेट सेक्टर द्वारा किये गये वैक्सीनेशन ने 10 फीसदी या उससे अधिक की भगादारी निभाई है. यहां तक की शहरी क्षेत्रों में भी प्राइवेट वैक्सीनेशन केंद्र कोई बढ़िया डाटा पेश कर पाने में सक्षम नहीं पाये गये. देश के 25 जिलों में स्थित सभी बड़े शहरों के मिलाकर प्राइवेट सेक्टर द्वारा किया गया वैक्सीनेशन सिर्फ 54 फीसदी है.
वहीं लगभग 80 फीसदी जिलों में सरकारी वैक्सीनेशन केंद्रों नें 95 फीसदी से अधिक टीकाकरण किया है. कई ऐसे जिलें हैं खास कर पूर्वोत्तर राज्य और ग्रामीण क्षेत्रों में जहां प्राइवेट वैक्सीनेशन केंद्रों ने सिर्फ एक फीसदी टीकाकरण ही किया है.
प्राइवेट टीकाकरण केंद्रों ने बड़े महानगरों जैसे बेंगलुरु, दिल्ली. चेन्नई, कोलाकाता, हैदराबाद और मुंबई में बेहतर कार्य किया है. सबसे अधिक बेंगलुरु में प्राइवेट वैक्सीनेशन केंद्रों की भागीदारी 44 फीसदी दर्ज की गयी है. यह जानकारी टाइम्स ऑफ इंडिया ने कोविन एप के आंकड़ो का विश्लेषण करने के बाद हासिल की है.
इन आंकड़ों से एक सवाल अब सामने आ रहा है कि जिस तरह से वैक्सीननेशन अभियान में निजी क्षेत्र के प्राइवेट अस्पतालों की प्रदर्शन है वह उन्हें दिये जा रहे वैक्सीन के 25 फीसदी कोटे के साथ न्याय नहीं करता है. इससे यह भी पता चलता है कि ग्रामीण या अर्ध शहरी क्षेत्रों में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बिल्कुल की लिमिटेड है. क्योंकि सच्चाई यही है कि भारत की 65 फीसदी आबादी गांव में रहती है, जो वैक्सीनेशन के पूरी तरह सरकार पर निर्भर है.
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Posted By: Pawan Singh