प्रियंका गांधी ने CM योगी पर कोरोना जांच कम करने का लगाया आरोप, ऑक्सीजन और दवाइयों की किल्लत पर जतायी चिंता, दिये 10 सुझाव
Priyanka Gandhi Vadra, Yogi Adityanath, Uttar Pradesh : नयी दिल्ली : कोरोना महामारी की दूसरी लहर से उत्तर प्रदेश में कोरोना जांच नहीं किये जाने का आरोप कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर लगाये हैं. उन्होंने प्रदेश के अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, दवाइयों की किल्लत और कालाबाजारी किये जाने पर चिंता जाहिर की है. साथ ही मुख्यमंत्री को कांग्रेस नेता ने 10 सुझाव भी दिये हैं.
नयी दिल्ली : कोरोना महामारी की दूसरी लहर से उत्तर प्रदेश में कोरोना जांच नहीं किये जाने का आरोप कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर लगाये हैं. उन्होंने प्रदेश के अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, दवाइयों की किल्लत और कालाबाजारी किये जाने पर चिंता जाहिर की है. साथ ही मुख्यमंत्री को कांग्रेस नेता ने 10 सुझाव भी दिये हैं.
प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए कहा है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर अपने भयानक रूप में है. उत्तर प्रदेश के कई शहरों में तबाही चरम पर है. शहरों की सीमाओं को लांघ कर अब यह महामारी गांवों में अपना पैर पसार रही है. सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि जिस रफ्तार से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, उसके मुकाबले प्रदेश में कोरोना जांच की दर काफी कम है. बड़ी संख्या ऐसे मामलों की भी है, जो रिपोर्ट ही नहीं हो पा रहे हैं.
उन्होंने कहा है कि ग्रामीण इलाकों में तो जांच तक नहीं हो रही है, शहरी इलाकों के लोगों को भी काफी मुश्किलें हो रही हैं. कई दिन तक रिपोर्ट नहीं आती. 23 करोड़ की आबादी वाले राज्य में प्रदेश सरकार के पास केवल 126 परीक्षण केंद्र और 115 निजी जांच केंद्र हैं. पूरी दुनिया में कोरोना की ये जंग चार स्तंभों पर टिकी है जांच, उपचार, ट्रैक और टीकाकरण. यदि आप पहले खंभे को ही गिरा देंगे, तो फिर हम इस जानलेवा वायरस को कैसे हरायेंगे?
प्रियंका गांधी ने अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, दवाइयों की घोर किल्लत और कालाबाजारी को लेकर दूसरी सबसे बड़ी चिंता जतायी है. उन्होंने कहा है कि आयुष्मान कार्ड योजना फेल हो चुकी है, उसे कोई अस्पताल नहीं मान रहा. लोगों को ऑक्सीजन, रेमिडीसिविर और अन्य जीवन रक्षक दवाओं के तीन गुनी-चार गुनी कीमत चुकाने को मजबूर किया जा रहा है. आर्थिक तौर से सक्षम लोग तो फिर भी अपनों को बचाने के लिए अधिक कीमत चुका देंगे, पर उस गरीब और मध्यम वर्ग की क्या दुर्गति हो रही है, सोचिए.
वहीं, तीसरी चिंता उन्होंने श्मशान घाटों पर निर्ममता से हो रही लूट-खसोट और कुल मौतों आंकड़ों को कम बताने को लेकर जतायी है. उन्होंने कहा है कि आंकड़ों को कम दिखाने का यह खेल हर रोज यूपी के हर जिले, हर कस्बे में किसके कहने से खेला जा रहा है? लोगों को शव के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी नहीं मिल रही. अपने प्रियजनों को श्मशान घाटों तक ले जाने के लिए परिवारों को एंबुलेन्स के लिए 12-12 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है, क्योंकि कूपन नहीं है.
साथ ही चौथी चिंता उत्तर प्रदेश में सुस्त टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर जताया है. टीकाकरण शुरू हुए पांच महीने बीत गये, लेकिन प्रदेश में एक करोड़ से भी कम लोगों को ही अब तक टीका लगाया गया है. दूसरी लहर महीनों पहले आनी शुरू हो गयी थी, आप तेजी से टीकाकरण कर सकते थे.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री से महाविपदा को रोकने की अपील करते हुए तत्काल कार्रवाई करने को लेकर सुझाव भी दिये हैं. उन्होंने कहा है कि मुझे आशा है कि आप इन सुझावों पर सकारात्मक ढंग से विचार करेंगे.
प्रियंका गांधी के योगी आदित्यनाथ को सुझाव
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सभी स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के कल्याण के लिए एक समर्पित आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाये.
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सभी बंद किये जा चुके कोविड अस्पतालों और देखभाल केंद्रों को फिर से तुरंत अधिसूचित करें और युद्ध स्तर पर ऑक्सीजन-युक्त बैंड की उपलब्धता बढ़ाएं. प्रादेशिक सेवा से निवृत्त हुए सभी चिकित्साकर्मियों, मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ को उनके घरों के पास स्थित अस्पतालों में काम करने के लिए बुलाया जाये.
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कोरोना संक्रमण एवं मौत के आंकड़ों को ढंकने छिपाने की बजाय श्मशान, कब्रिस्तान और नगरपालिका निकायों से परामर्श कर पारदर्शिता से लोगों को बताया जाये.
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RT-PCR जांच की संख्या बढ़ाएं. सुनिश्चित करें कि कम-से-कम 80 फीसदी जांच RT-PCR द्वारा हों. ग्रामीण क्षेत्रों में नये जांच केंद्र खोलें और पर्याप्त जांच किटों की खरीद तथा प्रशिक्षित कर्मचारियों को नियुक्त किया जाये.
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आंगनबाड़ी और आशाकर्मियों की मदद से ग्रामीण इलाकों में दवाओं व उपकरणों की कोरोना किट बंटवायी जाये, ताकि लोगों को सही समय पर शुरुआती दौर में ही इलाज व दवाई मिल सके और अस्पताल जाने की नौबत ही ना आये. जीवनरक्षक दवाइयों की कालाबाजारी पर रोक लगायी जाये. महत्वपूर्ण जीवन रक्षक दवाइयों के रेट फिक्स किये जाएं.
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ऑक्सीजन के भंडारण की एक नीति तुरंत बनायी जाये, ताकि आपात स्थिति के लिए हर जिला मुख्यालय पर ऑक्सीजन का रिजर्व भंडार तैयार हो सके. हर ऑक्सीजन टैंकर को पूरे राज्यभर में एंबुलेन्स का स्टेटस दिया जाये, ताकि परिवहन आसान हो सके.
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कोरोना संकट के चलते बंदिशों का दंश झेल रहे सभी गरीबों, श्रमिकों, रेहड़ी पटरी वाले और देश के अन्य राज्यों से अपनी रोजी-रोटी छोड़ कर घर लौटनेवाले गरीबों को नकद आर्थिक मदद की जाये.
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प्रदेश में युद्ध स्तर पर तुरंत वैक्सीनेशन की शुरुआत हो. प्रदेश की 60 फीसदी आबादी के टीकाकरण करने के लिए यूपी को कम-से-कम 10,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जबकि इसके लिए उसे केवल 40 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं. इसलिए मैं आपसे बुलंदशहर में बने भारत इम्युनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल कॉर्पोरेशन में टीके के निर्माण की संभावना तलाशने का आग्रह करती हूं.
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कोरोना की पहली लहर से बुनकर, कारीगर छोटे दुकानदार, छोटे कारोबार तबाह हो चुके हैं. दूसरी लहर में उन्हें कम-से-कम कुछ राहत जैसे बिजली, पानी, स्थानीय टैक्स आदि में राहत दी जाये, ताकि वे भी खुद को संभाल सकें.
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यह सबकी मदद लेने, सबका साथ देने, सबका हाथ थामने का समय है. इस समय आपकी सरकार को लोगों दलों और संस्थाओं को आगे आने और मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना है.