पीएम मोदी ने लिवर घुमाकर चीतों को केएनपी के स्पेशल विशेष बाड़े में छोड़ा. चीते धीरे-धीरे पिंजड़ों से बाहर आते गए और पीएम इस दौरान पेशेवर कैमरे से उनकी तस्वीरें लेते हुए भी दिखाई दिए. पीएम के साथ इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मंच पर थे.
भारत में चीतों को फिर से बसाने की परियोजना के तहत श्योपुर जिले के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाए गए चीतों को छोड़ने के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ. आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहां की सरकार का भी धन्यवाद करता हूं जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं. उन्होंने कहा कि भारत में 1947 में तीन चीते जंगल में बचे थे, जिनका दुर्भाग्य से शिकार किया गया था.
पीएम मोदी ने कहा कि कुनो राष्ट्रीय उद्यान में जब चीता फिर से दौड़ेंगे, तो यहां का घास के मैदान की पारिस्थितिकी सृदृढ़ होगी और जैव विविधता और बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है, हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है.
मोदी ने कहा कि कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा. उन्होंने कहा कि आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं; कुनो राष्ट्रीय उद्यान को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा.
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