नयी दिल्ली: किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच विज्ञान भवन में जारी दूसरे दौर की वार्ता समाप्त हो गई. बैठक में किसानों नेताओं ने सरकार को सुझाव दिया. किसान नेताओं ने सरकार से कहा कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए और 3 नए कृषि कानून को वापस लिया जाए. इस बीच दोनों पक्षों ने 5 दिसंबर को एक बार फिर से बैठक करने का फैसला किया.
कृषि मंत्री ने किसानों को ये कहा
किसान नेताओं से बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेसवार्ता की. प्रेसवार्ता में कृषि मंत्री ने कहा कि एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है और ना ही ऐसा किया जाएगा. कृषि मंत्री ने कहा कि एमएसपी में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. कृषि मंत्री ने कहा कि हम किसानों को आश्वस्त करते हैं.
मानसून सत्र में नया कानून लाई थी
बता दें कि संसद के मानसून सत्र में केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रितक गठबंधन सरकार 3 नए कृषि कानून लेकर आई थी. सरकार ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें मुक्त बाजार प्रदान करने के लिए ये कानून लाया गया है. वहीं किसानों का कहना है कि नए कानूनों के जरिए उनका न्यूनतम समर्थन मूल्य का हक छीन लिया गया.
1 हफ्ते से सीमा पर डटे हैं किसान
इस मुद्दे पर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसान बीते काफी समय से प्रदर्शन कर रहे हैं. बीते एक हफ्ते से किसान दिल्ली-हरियाणा, दिल्ली-पंजाब और दिल्ली नोएडा बॉर्डर पर पूरे लाव-लश्कर के साथ डटे हुए हैं. ये किसान पंजाब, हरियाणा और यूपी के हैं. गुजरात और राजस्थान से भी किसानों का जत्था इनके समर्थन में आ गया है.
पांच दिसंबर को होगी अगली वार्ता
सरकार और किसानों के बीच इससे पहले भी बात हो चुकी है. विज्ञान भवन में आयोजित उस बैठक में सरकार ने एक कमिटी बनाने का प्रस्ताव दिया था. किसान नेताओं से कहा था कि वे इस कमिटी के लिए 4-5 लोगों का नाम सुझाएं, लेकिन किसानों ने इस प्रस्ताव को नामंजुर कर दिया. उनका कहना था कि सभी लोगों से बात हो.
उस मीटिंग में सरकार ने पीपीटी के जरिए नए कृषि बिल और मंडी के बारे में प्रजेंटेशन भी दिया था. वार्ता बेनतीजा रही थी और अगली तारीख 3 दिसंबर तय की गई थी. किसान नेताओं और सरकार के बीच इस मसले पर अगली वार्ता 5 दिसंबर को होगी.
निहंग सिख भी किसानों के समर्थन में
इस बीच निहंग सिख भी केंद्र सरकार के कृषि बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में दिल्ली हरियाणा के बीच सिंघू बॉर्डर तक आ पहुंचे हैं. इनका कहना है कि सरकार को ये काला कानून वापस लेना चाहिए. जब तक ऐसा नहीं किया जाता हम यहां बने रहेंगे. निहंग सिखों का कहना है कि हम भी किसान हैं और अपने किसान भाइयों के साथ खड़े
Posted By- Suraj Thakur