Air Force Day 2020: कारगिल से बालाकोट तक! इन मौकों पर ‘इंडियन एयरफोर्स’ के पराक्रम से कांपा दुश्मन

ये कारनामा किया था भारतीय वायु सेना के 4 हंटर विमानों ने. इन विमानों ने 580 नॉट्स की रफ्तार से उड़ान भरते हुए एलओसी पार किया और पाकिस्तानी सेना के बीच जमकर तबाही मचाई.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2020 4:49 PM

भारतीय वायुसेना 8 अक्टूबर को अपना 88वां स्थापना दिवस मनाएगी. भारतीय वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर सन् 1932 को हुई थी. इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष भारतीय वायुसेना अपना स्थापना दिवस मनाती है. इस मौके पर गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर फ्लाई पास्ट का आयोजन किया जाता है. फ्लाई पास्ट में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर्स और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भाग लेते हैं.

भारतीय वायु सेना के गौरवान्वित करने वाले पल

भारतीय वायुसेना के 88वें स्थापना दिवस के मौके पर जानते हैं उन मौकों के बारे में जब वायु सेना ने अपने पराक्रम से भारत को गौरवान्वित किया. इसकी शुरुआत साल 1965 के भारत पाकिस्तान जंग से हुई. ये पहला मौका था जब किसी जंग में भारत ने अपनी वायुसेना का इस्तेमाल किया था. तब देश के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री थे.

भारत पाक युद्ध (1965): 4 हंटर विमानों ने हथियारों से भरी पाकिस्तानी मालगाड़ी को किया तबाह

इस जंग में भारतीय वायुसेना की वेस्टर्न एयर कमांड के तहत फाइटिंग फिफ्टीन स्क्वाड्रन ने भाग लिया था. इस युद्ध में कई मोर्चों पर 17वीं गोल्डन एरो स्क्वाड्रन ने भी हिस्सा लिया था. इस जंग में भारतीय वायु सेना से जुड़ा एक वाकया काफी मशहूर और गौरवान्वित करने वाला है. जंग में वायु सेना के 4 लड़ाकू विमानों ने एलओसी पार करके पाकिस्तानी सेना के लिए हथियार और गोला-बारूद ला रहे एक मालगाड़ी के परखच्चे उड़ा दिए थे.

ये कारनामा किया था भारतीय वायु सेना के 4 हंटर विमानों ने. इन विमानों ने 580 नॉट्स की रफ्तार से उड़ान भरते हुए एलओसी पार किया और पाकिस्तानी सेना के बीच जमकर तबाही मचाई. दरअसल, जब ये 4 हंटर विमान हवा में गश्ती कर रहे थे तभी उन्हें पाकिस्तान के रायविंड रेलवे स्टेशन के यार्ड में एक मालगाड़ी दिखी. पायलटों ने देखा कि मालगाड़ी में भारी मात्रा में हथियार, गोला बारूद और बख्तरबंद गाड़ियां हैं. चारों पायलटों ने आपस में ये तय किया कि मालगाड़ी को निशाना बनाया जाये.

लड़ाकू विमान हमला करते, इससे पहले उन्हें पास ही दो विमानभेदी टैंक दिखाई पड़े. पायलटों ने इन टैंको को चकमा देने की रणनीति बनाई. सभी पायलटों ने रायविंड स्टेशन के ऊपर से यूं उड़ान भरी जैसे कि उन्हें मालगाड़ी दिखी ही नहीं. चारों पायलटों ने कुछ दूर तक उड़ान भरी और फिर अचानक से मुड़ते हुए पूरी मालगाड़ी पर ताबड़तोड़ बम बरसाए.

भारतीय लड़ाकू विमानों ने तकरीबन 10 रॉकेट दागे. हमला इतना भयानक था कि मालगाड़ी नेस्तनाबूद हो गई. उसके तीन डिब्बे हवा में उछल गए. सारा हथियार और गोला बारूद बर्बाद हो गया. पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा और भारत की जीत सुनिश्चित हो गई.

भारत-पाक युद्ध (1971): भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी खेमें में मचाई खलबली

साल 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच एक और भिडंत हो गई. दिसंबर 1971 में गुजरात के कच्छ में भारत और पाकिस्तान की सेनाएं भीषण युद्ध में उलझी थीं. पाकिस्तानी सेना की तरफ से भारतीय इलाके में 16 बम गिराए गए थे. कच्छ में भारतीय वायु सेना की एयर स्ट्रीप क्षतिग्रस्त हो गई थी. वहां से भारतीय वायु सेना के विमानों का उड़ान भरना संभव नहीं था. इस समय यहां के इंचार्ज कार्णिक भुज थे. उन्होंने बीएसएफ से अपील किया कि एयर स्ट्रीप की मरम्मत करने में उनकी मदद की जाए.

बीएसएफ के जवान वहां पहुंचते, उससे पहले ही पास ही एक गांव से ग्रामीण सेना की मदद के लिए आगे आए. इनमें 300 महिलाएं थीं. 50 एयरफोर्स ऑफिसर्स, डीएससी के 60 जवानों और 300 महिलाओं सहित ग्रामीणों ने कुछ ही घंटों में पूरे एयरस्ट्रीम की मरम्मत कर ली. इसके बाद भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी खेमें में खूब तबाही मचाई.

कारगिल का जंग (1999): भारतीय वायुसेना ने बदल दिया था पूरी जंग का रूख

भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1999 में एक और जंग हुई जिसे दुनिया कारगिल युद्ध के नाम से जानती है. भारत की ओर से इसे ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया था. पाकिस्तानी सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ की कारस्तानियों की वजह से छिड़े इस जंग में भारत ने पाकिस्तानी सेना के नाकों चने चबवा दिए थे.

जंग की शुरुआत में भारत को नुकसान उठाना पड़ा था क्योंकि पाकिस्तानी सेना ऊंचाई में बैठी थी, वहीं भारतीय सेना नीचे से वार कर रही थी. लेकिन, जैसे ही भारतीय वायु सेना ने इस जंग में प्रवेश किया, पाकिस्तान की बत्ती गुल हो गई. 11 मई 1999 को भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान इस जंग में शामिल हुए. मिग 27 लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी सेना के ऊपर ऐसी बमबारी की कि उसके सैनिक त्राहिमाम करते नजर आये. मिग 27 विमानों से भारतीय वायु सेना के फाइटर पायलटों ने इतना सटीक और घातक निशाना लगाया कि पाकिस्तानी सेना के पांव उखड़ गये.

भारत को जीत हासिल हुई. इस जंग में भारतीय वायु सेना के लिए गौरव का एक पल उस समय भी आया जब बतौर ट्रेनी वायु सेना में शामिल हुईं गुंजन सक्सेना और विद्याश्री ने जंग के मैदान में सैनिकों को रसद पहुंचाने, घायल सैनिकों को अस्पताल तक पहुंचाने और पाकिस्तानी सैनिकों का टोह लेने का काम किया. पायलट गुंजन सेना को उनके अदम्य साहस के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.

बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019): 90 सेकेंड में कर दिया था दुश्मन का काम तमाम

बालाकोट एयरस्ट्राइक भारतीय वायुसेना और भारत के लिए एक और गौरव और शौर्य का पल था. 14 फरवरी 2019 को आतंकियों ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिल पर आत्मघाती हमला किया. इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए. 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने एयरस्ट्राइक करके इसका बदला लिया. भारतीय वायुसेना के 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने तड़के पाकिस्तान के बालाकोट में मौजूद जैश ए मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर भीषण बमबारी की.

वायु सेना के फाइटर पायलटों ने वहां मौजूद तमाम लांच पैड्स, कैंप और गोला बारूद को तबाह कर दिया. महज 90 सेकेंड्स में ये पूरा ऑपरेशन करके भारतीय वायु सेना के जांबाज वापस लौट आये.

राफेल उड़ाने वाली पहली महिला पायलट बनीं शिवांगी

फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह को राफेल उड़ाने की जिम्मेदारी सौंपना भी भारतीय वायुसेना के लिए गौरव का पल है. बनारस की रहने वाली शिवांगी राफेल विमान उड़ाने वाली पहली महिला पायलट होंगी. उन्हें 17वीं गोल्डन एरोज स्क्वाड्रन में शामिल किया गया है. इससे पहले शिवांगी ने राजस्थान में पाकिस्तानी सीमा से लगते एयरबेस में तैनात थीं.

शिवांगी बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद चर्चा में आए विंग कमांडर अभिनंदन के साथ भी काम कर चुकी हैं. उनका राफेल उड़ाने वाली टीम में होना वाकई गर्व की बात है.

Posted By- Suraj Kumar Thakur

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