पुलवामा अटैक के मास्टर माइंड उमर फारुक की करीबी है यह 23 साल की महिला, चार्टशीट में हुआ खुलासा कैसे करती थी आतंकियों की मदद
Pulwama attack, master mind Omar Farooq : पिछले साल 14 जनवरी को पुलवामा अटैक हुआ था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. घटना की जांच करते हुए एनआईए ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दिया है. इस चार्जशीट में एक महिला का नाम भी सामने आया है. उस महिला का नाम इंशा जान है, जिसने पुलवामा हमले के दौरान आतंकियों की मदद की थी. चार्टशीट में इंशा जान को भी आरोपी बनाया गया है. उसके पिता तारीक पीर को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया है. इंशा जान पुलवामा अटैक के मास्टरमाइंड उमर फारूक की करीबी थी, उसे मार्च 2019 में मार दिया गया था.
नयी दिल्ली : पिछले साल 14 जनवरी को पुलवामा अटैक हुआ था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. घटना की जांच करते हुए एनआईए ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दिया है. इस चार्जशीट में एक महिला का नाम भी सामने आया है. उस महिला का नाम इंशा जान है, जिसने पुलवामा हमले के दौरान आतंकियों की मदद की थी. चार्टशीट में इंशा जान को भी आरोपी बनाया गया है. उसके पिता तारीक पीर को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया है. इंशा जान पुलवामा अटैक के मास्टरमाइंड उमर फारूक की करीबी थी, उसे मार्च 2019 में मार दिया गया था.
चार्टशीट के अनुसार इंशा जान ने पुलवामा हमले को अंजाम देने वाले जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों की मदद की थी. इंशा जान मात्र 23 साल की और वह उमर फारुक से संपर्क में थी. वह उससे लगातार फोन और सोशल मीडिया के जरिये जुड़ी रहती थी. चार्टशीट में जो लिखा गया है उसके अनुसार इंशा जान सेना की गतिविधियों के बारे में उमर फारुक को जानकारी देती थी. चार्टशीट में यह बताया गया है कि इंशा जान की इन गतिविधियों के बारे में उसके पिता तारिक पीर को पूरी जानकारी थी और वह उसकी मदद करता था.
उमर फारुख जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का भतीजा है. इंशा जान से उसकी नजदीकी के कारण उमर फारुक, आदिल अहमद डार और समीर डार उसके घर पर रुकते भी थे. इंशा के घर का इस्तेमाल हथियार रखने और बम बनाने के काम भी आता था. चार्टशीट में यह कहा गया है कि ऐसे प्रमाण मिले हैं कि इंशा जान उमर फारुक और अन्य आतंकियों को 15 बार अपने घर में आश्रय दे चुकी थी. वह उन्हें रहने के लिए जगह और खाना भी उपलब्ध कराती थी.
जैश ए मोहम्मद का गठन पाकिस्तान के सहयोग से हुआ है और इनका उद्देश्य कश्मीर को भारत से अलग करना है. यही कारण है कि यह आतंकी संगठन अपने स्थापना काल 2000 से ही जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले करता रहा है. इसके सरगना मसूद अजहर को भारत ने एक विमान अपहरण के बाद यात्रियों को बचाने के लिए कंधार लेकर छोड़ा था. उसके बाद यह आतंकवादी और भी घातक हो गया. जैश ए मोहम्मद आत्मघाती हमलों के लिए जाना जाता है. पुलवामा अटैक में आदिल अहमद डार आत्मघाती हमलावर था.
Posted By : Rajneesh Anand