Punjab Congress Crisis पंजाब कांग्रेस में जारी अंदरूनी कलह को खत्म करने के लिए पार्टी हाईकमान ने मोरचा संभाल लिया है. इसी के मद्देनजर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीन सदस्यीय हाई लेवल कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जय प्रकाश अग्रवाल और हरीश रावत शामिल हैं. बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और विधायक नवजोत सिंह सिद्धू के बीच के झगड़े को खत्म करना पार्टी के शीर्ष नेताओं के लिए अब एक बड़ी चुनौती बन गयी है.
हालांकि, सोनिया गांधी के अब इस मामले में सक्रिय होने के बाद से कयास लगाए जा रहे है कि पंजाब कांग्रेस में जारी गुटबाजी और मतभेदों को जल्द ही दूर कर लिया जाएगा. विवाद सुलझाने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी ने सोमवार को दिल्ली में प्रदेश के 25 मंत्रियों और विधायकों से मुलाकात की. वहीं, कल (मंगलवार) और परसों (बुधवार) भी कमेटी 25-25 विधायकों से मुलाकात करेगी.
इसके बाद फिर हाईकमान द्वारा गठित यह कमेटी पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और फिर कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू से भी मिलेगी. इससे पहले इन मंत्रियों और विधायकों को कमेटी ने रविवार को दिल्ली आने का न्यौता भेजा था. इनमें पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ भी शामिल हैं. गौर हो कि पंजाब में कांग्रेस के 80 विधायक हैं.
तीन सदस्यीय हाई लेवल कमेटी पंजाब कांग्रेस के नेताओं से उनके विचार सुनने के बाद अपनी रिपोर्ट पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंपेगी. जिसके बाद हाईकमान द्वारा अंतिम फैसला सुनाया जाएगा. कमेटी ने मुलाकात के लिए केवल मौजूदा विधायक और मंत्रियों को न्यौता नहीं दिया, बल्कि मौजूदा सांसदों और पूर्व प्रदेश प्रधानों को भी बातचीत के लिए बुलाया है.
उल्लेखनीय है कि पिछले एक महीने से कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ नवजोत सिद्धू के अलावा दो मंत्रियों और कई विधायकों ने मोर्चा खोल रखा है. कोटकपूरा पुलिस फायरिंग केस की जांच हाईकोर्ट में खारिज होंने के बाद कैप्टन पर कई कांग्रेसी नेता बादल परिवार से मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं. मिल रही जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह गुरुवार या शुक्रवार को दिल्ली में हाईकमान की कमेटी से मिलेंगे. हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि कमेटी मुख्यमंत्री के साथ कब बैठक करेगी.
बता दें कि यह पहला मौका नहीं है, जब कांग्रेस के विधायक अपने ही मुख्यमंत्री के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं. इससे पहले मध्य प्रदेश में कमलनाथ के साथ और राजस्थान में अशोक गहलोत के साथ ऐसा हो चुका है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस के अंदर फूट के कारण कांग्रेस की सरकार गिर गई थी. हालांकि, राजस्थान में गहलोत अपनी सरकार बचाने में सफल रहे थे.
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