अमृतसर (पंजाब) : जिले की पूर्वी विधानसभा सीट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम मजीठिया की जंग से गर्म है. अब विरोधी सिद्धू के विकास की अनदेखी करने के साथ-साथ वादा न निभाने वाले नेता के रूप में भी प्रचारित करने में जुट गए हैं. इसी क्रम में 19 अक्तूबर 2018 को दशहरा पर्व पर हुआ रेल हादसा भी सिद्धू की राह का बड़ा रोड़ा बन सकती है. सिद्धू ने इस हादसे के पीड़ित परिवारों की मदद और उनके बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की जिम्मेदारी ली थी लेकिन फिर लौटकर उनका हाल नहीं पूछा. विरोधी इसे हवा देने में जुटे हैं.
जोड़ा फाटक पर हुए इस रेल हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. दशहरा पर्व पर आयोजित इस कार्यक्रम में नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू मुख्य अतिथि थीं. हादसे के तुरंत बाद ही नवजोत सिंह सिद्धू ने हादसे के सभी पीड़ित परिवारों को गोद लेने का एलान कर दिया. साथ ही सिद्धू ने सभी पीड़ित परिवारों को हर माह राशन देने और बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च उठाने का भी वादा किया था.
पंजाब की कैप्टन सरकार ने हादसा पीड़ित परिवारों को 5-5 लाख रुपये की मदद की थी. सरकार ने 34 पीड़ित परिवारों के एक-एक सदस्य को नौकरी भी दी, लेकिन इसके लिए लोगों को करीब दो साल तक इंतजार करना पड़ा. इधर, सिद्धू ने हादसे के बाद न तो इन परिवारों की सुध ली और न ही उनके साथ किए गए वादों को ही पूरा किया.
रेल हादसे में 38 परिवारों के 59 लोगों की मौत हुई थी. पीड़ित परिवारों में ज्यादातर परिवार उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों के थे. पीड़ित परिवारों के लंबे संघर्ष के बाद 34 परिवारों के 1-1 सदस्य को नौकरी मिल गई. कुछ लोगों को अमृतसर के डीसी दफ्तर में तो कुछ को नगर निगम के अलग-अलग विभागों में नियुक्त किया गया. लेकिन चार पीड़ित परिवार धक्के खाने के बाद भी जब अपने परिवारों में किसी सदस्य को नौकरी दिलाने में सफल नहीं हो सके, तो वे उत्तर प्रदेश लौट गए.
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रेल हादसे में पति को खोने वाली अमन ने बताया कि नवजोत सिंह सिद्धू ने पीड़ित परिवारों के साथ कई वादे किए थे. उन्होंने सिद्धू ने बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने के वादे का भरोसा किया लेकिन उन्होंने न तो कभी उनका हाल पूछा और न ही बच्चों को शिक्षा दिलाने का वादा पूरा किया. सरकार ने नौकरी दी, मगर उसके लिए भी दर-दर भटकना पड़ा. उन्होंने कहा कि बच्चों को अब सरकारी स्कूल में दाखिला करवा दिया है, ताकि किसी न किसी तरह बच्चों का पढ़ा कर एक सफल इंसान बना पाऊं.