चंडीगढ़ : कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से देश में जहां सख्त एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं, वहीं पंजाब में रिटायर होने वाले चिकित्साकर्मियों को आगामी 30 सितंबर तक कार्यमुक्त नहीं करने का फैसला का फैसला किया गया है. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने यह साफ कर दिया है कि करतारपुर गलियारे को बंद करने का फैसला अस्थायी है. चिकित्सा कर्मियों के सेवा विस्तार करने का फैसला मुख्यमंत्री ने लिया था, जिसे उनकी अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की हुई बैठक में औपचारिक मंजूरी दी गयी.
सरकार की ओर से जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने बैठक में कोरोना वायरस से निपटने के लिए किये गये उपायों एवं तैयारियों की समीक्षा की. बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि वे भयभीत नहीं हों और भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रहने, नियमित रूप से हाथ धोने जैसे सभी संभावित एहतियाती कदम के अनुपालन करें. पंजाब सरकार ने कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए चिकित्सा पेशेवरों को सेवा विस्तार देने के साथ-साथ बेरोजगार एमबीबीएस डॉक्टरों से संपर्क कर स्वयंसेवी आधार पर इस संकट से निपटने में मदद करने का अनुरोध किया.
इसके साथ ही, मंत्रिमंडल ने सभी सरकारी और निजी स्कूलों को 31 मार्च तक बंद करने के साथ ही वरिष्ठ मेडिकल छात्रों को अपने कॉलेजों को रिपोर्ट करने को कहा, जो खुले हैं, ताकि वे अन्य चिकित्साकर्मियों की मदद कर सकें. इस बीच, मुख्यमंत्री ने सोमवार को साफ किया कि पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को जोड़ने वाले गलियारे को बंद करने का फैसला अस्थायी है और कोरोना वायरस के चलते लिया गया है.
राज्य सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, ‘दुर्भाग्यपूर्ण है कि करतारपुर गलियारे को कोरोना वायरस के खतरे के चलते बंद किया गया है, लेकिन मैं पंजाब के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि यह अस्थायी कदम है. उन्होंने संकट की स्थिति को छोड़कर बाकी दिनों तक गलियारा खुला रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी.