पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सूबे की फिजा क्या इस बार बदलती नजर आएगी ? दरअसल यह सवाल लोग इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह राजधानी दिल्ली का रुख एक बार फिर करने जा रहे हैं जहां वे गृह मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करेंगे. ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि आरिंदर सिंह भाजपा पर विश्वास जता सकते हैं जो चुनाव में कांग्रेस के लिए झटके से कम नहीं होगा.
आपको बता दें कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ अलग-अलग बैठकें कीं थीं. गौर हो कि उन्होंने 18 सितंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया था. इस घटना के बाद सभी की निगाह पंजाब विधानसभा चुनाव पर टिकी हुई है.
पंजाब की बात करें तो वहां अभी कांग्रेस सत्ता पर काबिज है. इससे पहले वहां भाजपा और अकाली दल के गंठबंधन की सरकार थी. पिछले दिनों मोदी सरकार ने वह तीनों कृषि बिल वापस ले लिया जिसपर विवाद हुआ था और अकाली दल से भाजपा का गंठबंधन टूटा था. जानकार बताते हैं कि एक बार फिर भाजपा की प्रदेश पर नजर है. भाजपा इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का सहारा ले सकती है. किसान बिल वापस लेने के पीछे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का अहम रोल जानकार बता रहे हैं. पीएम के इस फैसले की कैप्टन अमरिंदर ने सराहना करने का काम किया था.
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कृषि कानून को लेकर माहौल भाजपा के इतना खिलाफ था कि कांग्रेस छोड़ने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह भी उससे जुड़ने से कतराते रहे. यही नहीं अकाली दल ने भी इसी मुद्दे पर भाजपा का साथ छोड़ दिया था. जानकारों की मानें तो अब कृषि कानूनों की वापसी के बाद माहौल पूरी तरह अलग हो सकता है. पूरी संभावना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के साथ मिलकर चुनावी मैदान में नजर आ सकते हैं. यही नहीं अकाली दल भी साथ आ सकता है. यदि ऐसा हुआ तो चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की परेशानी बढ़ जाएगी.
Posted By : Amitabh Kumar