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Qutub Minar: कुतुब मीनार किसका ? मालिकाना हक पर 17 सितंबर को आयेगा फैसला

महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह ने कुतुब मीनार पर अपना दावा ठोका और कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसपर मंगलवार को दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह के वकील ने कहा, सरकार ने 1947 में बिना हमारी अनुमति के पूरी प्रॉपटी पर कब्जा कर लिया.

कुतुब मीनार (Qutub Minar) पर मालिकाना हक हो लेकर दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट 17 सितंबर को अपना फैसला सुनायेगा.

महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह ने कुतुब मीनार पर ठोका दावा

दरअसल महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह ने कुतुब मीनार पर अपना दावा ठोका और कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसपर मंगलवार को दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह के वकील ने कहा, सरकार ने 1947 में बिना हमारी अनुमति के पूरी प्रॉपटी पर कब्जा कर लिया.

Also Read: कुतुब मीनार को लेकर क्यों है विवाद ? क्या है पूरा इतिहास

याचिकाकर्ता को कोर्ट ने फटकारा, कहा – अबतक न्यायालय क्यों नहीं आये

कुतुब मीनार पर मालिकाना हक को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के दौरान साकेत कोर्ट ने महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह के वकील को कहा, आपके पास अभी न कब्जा है और न ही कभी कोर्ट आये. इसपर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, 1960 में ही याचिका दायर की गयी थी. वकील ने कोर्ट के सामने कहा, मामला अभी तक लंबित है. वकील ने यह भी बताया कि कुतुब मीनार पर मालिकाना हक को लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा गया है.

कुतुब मीनार में पूजा करने की हो रही मांग

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि कुछ लोग पूजा की मांग कर रहे हैं. इसपर महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह के वकील ने कहा, हम इस मामले में पक्षकार बनना चाहते हैं. इसपर कोर्ट ने कहा, क्या बिना पक्षकार बनाये हम पूजा की मांग वाली याचिका पर फैसला सुना सकते हैं.

याचिका खारिज करने की मांग

साकेत कोर्ट में एएसआई ने याचिका खारिज करने की मांग की और कहा, महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह के दावे ने लिमिटेशन पीरियड भी क्रॉस कर लिया है. इसलिए याचिका खारिज की जानी चाहिए. एएसआई ने महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सुलतान बेगम ने लाल किले पर अपना मालिकाना हक का दावा किया था, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट में हमने विरोध किया था. जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माना था कि याचिका में की गयी मांग का कोई आधार नहीं है.

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