नयी दिल्ली/अहमदाबाद: Hardik Patel Resigns: हार्दिक पटेल ने आखिरकार कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है. कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं पर सवाल खड़े कर दिये हैं. वहीं, कांग्रेस के गुजरात प्रभारी रघु शर्मा ने हार्दिक पर बेईमानी और गद्दारी करने के आरोप लगा दिये हैं. राहुल गांधी की युवा ब्रिगेड के सदस्य रहे हार्दिक पटेल पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज थे. उन्होंने कहा कि वह पार्टी के लिए कुछ करना चाहते थे. लेकिन, दिल्ली में बैठे नेताओं को उनकी बात सुनने की बजाय चिकन सैंडविच में ज्यादा दिलचस्पी थी.
राहुल गांधी पर बोला हमला
हार्दिक पटेल का इशारा पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी की ओर था. इससे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने भी राहुल पर ऐसे ही आरोप लगाये थे. उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी पार्टी के किसी नेता से ज्यादा अपने पालतू कुत्ते को महत्व देते हैं. हिमंता ने कहा था कि जब वह राहुल गांधी से बात कर रहे थे, तो वह उनकी बात सुनने की बजाय अपने कुत्ते को बिस्किट खिला रहे थे.
This is politics of dishonesty, of betrayal. He was a star campaigner in the recent 5-state elections. He was bad-mouthing BJP in UP, Uttarakhand and Punjab. What happened overnight?: Raghu Sharma, AICC In-charge of Gujarat on Hardik Patel's resignation from the party pic.twitter.com/6irbDqNC67
— ANI (@ANI) May 18, 2022
गुजरात प्रभारी रघु शर्मा ने दी तीखी प्रतिक्रिया
हार्दिक पटेल के इस्तीफे पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि यह बेईमानी और गद्दारी की राजनीति है. श्री शर्मा ने कहा कि पिछले दिनों संपन्न हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में उसे स्टार प्रचारक का दर्जा दिया गया. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भला-बुरा कह रहे थे.
6 महीने से भाजपा के संपर्क में थे हार्दिक पटेल
रघु शर्मा ने पूछा कि रातोंरात क्या हो गया? श्री शर्मा ने कहा कि हार्दिक पटेल ने जो चिट्ठी जारी की है, उसके शब्द उनके नहीं हैं. उन्होंने सिर्फ चिट्ठी पर दस्तखत किये हैं. रघु शर्मा ने हार्दिक पटेल पर आरोप लगाया कि वह पिछले 6 महीने से भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में थे. वे भाजपा के साथ मिलकर अपने ऊपर दर्ज केस को खत्म करवाना चाहते थे. यह अवसरवाद की राजनीति है और कुछ नहीं. गुजरात की जनता इसे भलीभांति समझती है.