‘उद्योगपतियों का ऋण माफ और PSU से सरकारी नौकरियां साफ ये कैसा अमृतकाल?’ राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला
राहुल ने सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि हर साल दो करोड़ रोजगार देने का झूठा वादा करने वालों ने नौकरियां बढ़ाने की जगह दो लाख से अधिक नौकरियां ‘खत्म कर’ दीं. उन्होंने कहा, इसके अलावा इन संस्थानों में संविदा पर भर्तियां लगभग दोगुनी कर दी गईं.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रोजगार के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट किया और दावा किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) में दो लाख से अधिक नौकरियों को खत्म कर दिया गया है.
लाखों युवाओं की उम्मीदें कुचल रही मोदी सरकार : राहुल गांधी
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, सरकार अपने कुछ पूंजीपति मित्रों के फायदे के लिए लाखों युवाओं की उम्मीदें कुचल रही है. उन्होंने कहा कि पीएसयू भारत का गौरव और रोजगार के लिए हर युवा का सपना हुआ करते थे, लेकिन आज वे सरकार की प्राथमिकता नहीं हैं.
उद्योगपतियों का ऋण माफ और पीएसयू से सरकारी नौकरियां साफ ये कैसा अमृतकाल?
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, उद्योगपतियों का ऋण माफ और पीएसयू से सरकारी नौकरियां साफ. ये कैसा अमृतकाल? उन्होंने सवाल किया कि अगर यह वाकई में ‘अमृतकाल’, है तो नौकरियां इस तरह गायब क्यों हो रही हैं? राहुल ने कहा, ‘‘देश इस सरकार के शासन में रिकॉर्ड बेरोजगारी से जूझ रहा है, क्योंकि लाखों युवाओं की उम्मीदों को कुछ पूंजीपति मित्रों के फायदे के लिए कुचला जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत के पीएसयू को अगर सरकार से सही वातावरण और समर्थन मिले, तो वे अर्थव्यवस्था और रोजगार दोनों को बढ़ाने में सक्षम हैं. राहुल ने कहा, पीएसयू देश और देशवासियों की संपत्ति हैं. उन्हें आगे बढ़ाना होगा, ताकि वे भारत की प्रगति के मार्ग को मजबूत कर सकें.
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पीएसयू भारत की शान हुआ करते थे और रोज़गार के लिए हर युवा का सपना हुआ करते थे। मगर, आज ये सरकार की प्राथमिकता नहीं हैं।
देश के पीएसयू में रोज़गार, 2014 में 16.9 लाख से कम हो कर 2022 में मात्र 14.6 लाख रह गए हैं। क्या एक प्रगतिशील देश में रोज़गार घटते हैं?
BSNL में 1,81,127…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 18, 2023
नौकरियां 16.9 लाख से कम होकर 2022 में 14.6 लाख रह गयीं
राहुल ने ट्वीट किया, देश के पीएसयू में नौकरियां 2014 में 16.9 लाख से कम होकर 2022 में मात्र 14.6 लाख रह गई हैं. क्या एक प्रगतिशील देश में नौकरियां कम होती हैं? उन्होंने कहा, बीएसएनएल (भारत संचार निगम लिमिटेड) में 1,81,127, सेल (भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड) में 61,928 , एमटीएनएल (महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड) में 34,997, एसईसीएल (दक्षिण पूर्वी कोलफील्ड्स लिमिटेड) में 29,140, एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) में 28,063 और ओएनजीसी (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड) में 21,120 नौकरियां कम हुईं.
हर साल दो कराड़े रोजगार देने का मोदी ने किया झूठा दावा : राहुल गांधी
राहुल ने सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि हर साल दो करोड़ रोजगार देने का झूठा वादा करने वालों ने नौकरियां बढ़ाने की जगह दो लाख से अधिक नौकरियां ‘खत्म कर’ दीं. उन्होंने कहा, इसके अलावा इन संस्थानों में संविदा पर भर्तियां लगभग दोगुनी कर दी गईं. क्या संविदा कर्मचारी बढ़ाना आरक्षण का संवैधानिक अधिकार छीनने का तरीका नहीं है? क्या यह आखिरकार इन कंपनियों के निजीकरण की साजिश है?