Rahul Gandhi Congress Coterie: वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया. कांग्रेस से आजाद होने के साथ ही गुलाम नबी ने गांधी परिवार के करीबी लोगों का जिक्र करते हुए पार्टी को अनुभवहीन चाटुकारों की मंडली करार दिया. कभी गांधी परिवार के भरोसेमंद नेताओं की सूची में शामिल रहे गुलाम नबी आजाद ने आरोप लगाया कि पार्टी के अहम फैसले राहुल गांधी के पीए और सिक्योरिटी गार्ड वाली मंडली ले रही है.
आजाद के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंपने से दो दिन पहले पार्टी के एक अन्य नेता ने भी अपना इस्तीफा देते समय कुछ ऐसा ही कहा था. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं में से एक जयवीर शेरगिल ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा देते हुए पार्टी छोड़ने की घोषणा की. उन्होंने अपने इस्तीफे के बाद दि प्रिंट के साथ विशेष बातचीत में कहा कि पार्टी को पीए और ओएसडी और कुछ चुनिंदा नेता चला रहे हैं. जयवीर शेरगिल ने साथ ही कहा कि एक साल से ज्यादा समय तक कोशिश करने के बावजूद वह राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी से मिलने का समय हासिल नहीं कर पाए. इन दोनों के अलावे अन्य कुछ कांग्रेसी नेताओं ने भी निजी तौर पर इस मंडली के पास निर्णय लेने की शक्तियां होने की बात को स्वीकार किया है. उन्होंने इस बारे में भी बात की है कि कैसे मंडली तीनों गांधी तक पहुंच बनाने से रोकती है. जानें इस मंडली में कौन लोग शामिल है?
गुलाम नबी आजाद ने सुरक्षा गार्ड के बारे में बात की, तो इस बात की संभावना जताई जा रही है कि वह राहुल गांधी के विशेष सुरक्षा समूह (SPG) के पूर्व सदस्य केबी बायजू का जिक्र कर रहे थे. दिप्रिंट को कांग्रेस पदाधिकारियों ने बताया. 2007 में जब राहुल ने पार्टी महासचिव का पद संभाला, तब बायजू राहुल की टीम का हिस्सा बने थे. लेकिन, वह कांग्रेस के आधिकारिक सदस्य नहीं हैं. पार्टी सूत्रों ने कहा कि वास्तव में बायजू का राहुल गांधी के साथ जुड़ाव 1991 से है, जब उन्हें पहली बार राहुल की सुरक्षा का काम सौंपा गया था. उन्होंने कहा कि बायजू राहुल गांधी के सभी दौरों, मूवमेंट और सुरक्षा व्यवस्था के प्रभारी हैं, जो उन्हें पार्टी के पूर्व अध्यक्ष का एक भरोसेमंद व्यक्ति बनाता है.
आईसीआईसीआई बैंक के एक पूर्व एग्जीक्यूटिव अलंकार सवाई राहुल गांधी के निजी स्टाफ के सदस्य हैं और उनके दिन-प्रतिदिन के मामलों को देखने का जिम्मा उन्हीं का है. वह कुछ समय के लिए गांधी के सोशल मीडिया खातों के प्रभारी भी रहे थे. पार्टी सूत्रों का कहना है कि सवाई के शामिल होने के बाद, जब से गांधी की टीम का विस्तार हुआ है और तब से वह चीफ ऑफ स्टाफ बने हुए हैं. कांग्रेस के हलकों में उन्हें एक ऐसे शख्स के तौर पर जाना जाता है जो राहुल गांधी तक आसानी से पहुंच नहीं बनाने देते हैं. मीडिया के साथ राहुल के संपर्क की जिम्मेदारी उन्हीं की है.
दी प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल गांधी के लिए जिस तरह से अलंकार सवाई है, उसी तरह से प्रियंका गांधी के लिए संदीप सिंह हैं. जेएनयू में आइसा के एक पूर्व छात्र कार्यकर्ता संदीप सिंह ने कथित तौर पर मनमोहन सिंह के लिए काले झंडे उठाए थे. उस समय पूर्व पीएम मनमोहन सिंह विश्वविद्यालय परिसर का दौरा कर रहे थे. उन्होंने कांग्रेस के साथ जुड़ने से पहले भाकपा (माले) के साथ काम किया था. जब 2018 में प्रियंका ने उत्तर प्रदेश पार्टी महासचिव के रूप में कार्यभार संभाला तो वह उनकी टीम में शामिल हो गए. लेकिन उससे पहले, सिंह राहुल गांधी के साथ काम करते थे. फिलहाल वह प्रियंका की टीम का नेतृत्व करते हैं और उन्हें राजनीतिक मामलों में सलाह देते हैं. सिंह ने कथित तौर पर इस साल की शुरुआत में यूपी चुनावों के दौरान टिकट वितरण और पार्टी की रणनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
कांग्रेस के सूत्र कनिष्क सिंह को राहुल गांधी का दोस्त बताते हैं. वह पहले न्यूयॉर्क स्थित मर्चेंट बैंकिंग फर्म लैजार्ड फ्रेरेस एंड कंपनी के साथ जुड़े थे. नौकरी छोड़ने के बाद 2003 में उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया. कनिष्क ने व्हार्टन बिजनेस स्कूल से एमबीए किया है. उन्होंने कांग्रेस के साथ जब शुरुआत की, तब वह शीला दीक्षित के साथ काम कर रहे थे. उसके बाद 2004 में उन्होंने एक लेख लिखा. उसमें उन्होंने सोनिया गांधी की तुलना जॉन केरी से की और दोनों के लिए जीत की भविष्यवाणी करने के बाद गांधी परिवार ने उन्हें नोटिस किया. वह 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद से परिवार, खासकर राहुल के साथ काम कर रहे हैं. दी प्रिंट की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि वह नेतृत्व के महत्वपूर्ण मामलों खासकर कानून, सुरक्षा आदि से संबंधित मामलों को संभालते हैं.
सचिन राव, मिशिगन बिजनेस स्कूल से कॉर्पोरेट रणनीति और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एमबीए स्नातक हैं. फिलहाल सचिन राव ने पर्सनल ट्रेनिंग और आईएनसी संदेश के प्रभारी हैं. उन्होंने पहले भारतीय युवा कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ के प्रबंधन का कामकाज भी संभाला है. 2007 में, जब राहुल ने एआईसीसी महासचिव के रूप में पदभार संभाला, तो उन्होंने राव के साथ मिलकर आईवाईसी और एनएसयूआई को फिर से खड़ा करने पर काम किया था. तब इसे पार्टी में नए महासचिव का पहला कार्यभार माना गया था. सूत्रों का कहना है कि राहुल के कार्यकाल के दौरान 2007-2009 के बीच पहली बार दोनों निकायों के लिए आंतरिक चुनाव कराने का विचार राव का था. राव कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य भी हैं, जो पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है.
1981 बैच के आईएएस अधिकारी के. राजू ने 2009 में कांग्रेस के साथ काम करना शुरू किया था. उन्हें वाईएस राजशेखर रेड्डी कांग्रेस के पाले में लेकर आए थे. मौजूदा समय में वह राहुल गांधी की टीम का हिस्सा हैं और अल्पसंख्यक और कास्ट पॉलिटिक्स, सामाजिक कल्याण आदि से संबंधित मामलों को संभालते हैं.
प्रवीण चक्रवर्ती कांग्रेस के डेटा और एनालिटिक्स विंग के अध्यक्ष हैं और आर्थिक नीतियों से संबंधित सभी मामलों में राहुल गांधी के लिए एक महत्वपूर्ण साउंडिंग बोर्ड भी. प्रवीण चक्रवर्ती की टीम पार्टी के लिए सर्वे और डेटा-आधारित तकनीकी पहल के कामकाज को संभालती है. हाल ही में उन्होंने कांग्रेस के डिजिटल सदस्यता अभियान का नेतृत्व किया.
Also Read: Namaz Controversy: AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी बोले- अपने घर पर नहीं, तो क्या सड़क पर पढूंगा नमाज