मानहानि केस: राहुल की अर्जी पर सूरत सोशंस कोर्ट आज सुनाएगा फैसला, होगी सांसदी बहाल या करेंगे हाईकोर्ट का रुख?

राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर अगर कोर्ट रोक लगा देता है तो राहुल गांधी की सांसदी फिर से बहाल हो सकती है. इसके साथ ही लो साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं. लेकिन सेशंस कोर्ट से भी राहत नहीं मिलती है तो राहुल गांधी के पास हाईकोर्ट जाने का विकल्प खुला रहेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 20, 2023 8:02 AM

मोदी सरनेम मानहानि मामले में आज यानी गुरुवार  को सूरत की सेशंस कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है. बता दें, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीन अप्रैल को निचली अदालत की ओर से दी गई सजा पर रोक लगाने की मांग को लेकर सेशंस कोर्ट में अपील दाखिल की थी. राहुल की अर्जी पर बीते 13 अप्रैल को सेशंस कोर्ट में सुनवाई हुई थी. सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसले को 20 अप्रैल तक के लिए सुरक्षित रख लिया था. ऐसे में कोर्ट अगर सेशंस कोर्ट मोदी सरनेम वाली टिप्पणी को लेकर उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा देता है तो राहुल गांधी की सांसदी वापस हो सकती है.

लड़ सकते हैं 2024 लोकसभा का चुनाव: राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर अगर कोर्ट रोक लगा देता है तो राहुल गांधी की सांसदी फिर से बहाल हो सकती है. इसके साथ ही लो साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं. हालांकि अगर उन्हें सेशंस कोर्ट से भी राहत नहीं मिलती है तो राहुल गांधी के पास हाईकोर्ट जाने का विकल्प खुला रहेगा. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं. गौरतलब है कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जस्टिस आरपी मोगेरा की अदालत ने फैसला 20 अप्रैल तक सुरक्षित रख लिया था.

आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला: गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इस मामले में बीते 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दोषी करार दिया था और दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी जिसके एक दिन बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया.

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20 अप्रैल तक फैसला सुरक्षित: वहीं मोदी सरनेम मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ राहुल गांधी ने तीन अप्रैल को सत्र अदालत का रुख किया. उनके वकीलों ने दो आवेदन भी दाखिल किये जिनमें एक सजा पर रोक के लिए और दूसरा अपील के निस्तारण तक दोषी ठहराये जाने पर स्थगन के लिए था. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना और फैसला 20 अप्रैल तक के लिए सुरक्षित रख लिया था.

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