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‘…राहुल गांधी की तो आदत है’, बोले एस. जयशंकर- हमें पता है 2024 के चुनाव का नतीजा तो वही होगा

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया का बड़ा हिस्सा अब भारत को एक विकासशील भागीदार के रूप में देखता है. भारत अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहा है, जिसे दुनिया ने भी माना है. ‘ग्लोबल साउथ’ भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के तौर पर देखता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश नीति के 9 साल पूरे होने पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने की जिसमें उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर कटाक्ष किया. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि राहुल गांधी की आदत है कि जब वो बाहर जाते हैं तो वे देश की आलोचना करते हैं, हमारी राजनीति के बारे में टिप्पणी करते हैं. दुनिया देख रही है कि इस देश में चुनाव होते हैं और चुनाव में कभी एक पार्टी जीतती है, कभी दूसरी पार्टी. यदि देश में लोकतंत्र नहीं है तो ऐसा परिवर्तन तो नहीं आना चाहिए…हमें पता है कि 2024 के चुनाव का नतीजा तो वही होगा.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि हम बाहर जाते हैं और भारत की ओर से लोगों से मिलते हैं. हम समाज के विभिन्न क्षेत्र के लोगों से मिलते हैं. दुनिया, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ, भारत को एक विकास के भागीदार के रूप में देखता है. आगे उन्होंने कहा कि आज लोग भारत को सुनना चाहते हैं और उन्हें लगता है कि भारत के साथ काम करने से उनका प्रभाव भी तेज होगा. आज हम जो प्रभाव डाल रहे हैं, उससे हमारी परंपरा का उत्सव मनाया जा रहा है.

कोरोना और जी20 को लेकर एस. जयशंकर ने क्या कहा

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान बहुत से देशों ने अपने नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया था. हम कोविड के दौरान फंसे हुए कम से कम 70 लाख लोगों को वापस लाए. उन्होंने कहा कि हम पहले जी20 अध्यक्ष हैं जिन्होंने अन्य लोगों से परामर्श करने का प्रयास किया और 125 देशों ने प्रतिक्रिया दी क्योंकि उन्हें हम पर भरोसा है.


रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर एस. जयशंकर ने क्या कहा

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया का एक बड़ा हिस्सा हमें एक विकास भागीदार के रूप में देखता है, न केवल एक विकास भागीदार के रूप में बल्कि एक विकास भागीदार के रूप में जो प्रधानमंत्री द्वारा कही गयी बातों पर खरा उतरता है. हम अपने पार्टनर के साथ वो काम करते हैं जो उनकी प्राथमिकता होती है…आज भारत की दूसरी छवि एक आर्थिक सहयोगी की है. उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन के युद्ध का अलग-अलग देशों पर अलग प्रभाव है. अब रूस और चीन या और किसी देश पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा वह वे खुद तय करेंगे. 1955 के बाद से विश्व में बहुत कुछ हुआ लेकिन हमारा और रूस का रिश्ता स्थिर रहा है क्योंकि दोनों देश यह समझते हैं कि दोनों बड़े यूरेशियन देश है और पूरे यूरेशिया की स्थिरता हमारे रिश्तों पर निर्भर है.

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