गुजरात हाई कोर्ट से झटका लगने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी शनिवार को हरियाणा के सोनीपत पहुंचे. यहां उन्होंने कुछ ऐसा किया जिसकी तस्वीर वायरल हो रही है. वायरल तस्वीर में राहुल गांधी खेतों में नजर आ रहे हैं. यहां उन्होंने ट्रैक्टर से जुताई की और धान रोपा. आप भी देखें वायरल तस्वीर
Haryana | On his way from Delhi to Shimla (Himachal Pradesh) Congress leader Rahul Gandhi reached Sonipat earlier this morning, where he met farmers at various villages of Baroda. He joined them in the sowing process, as they worked at the fields in Baroda and Madina. pic.twitter.com/IO3byBuN0y
— ANI (@ANI) July 8, 2023
वायरल तस्वीर के बारे में कहा जा रहा है कि राहुल गांधी दिल्ली से शिमला जा रहे थे. इस बीच वे सोनीपत के बरोदा और मदीना में आज सुबह धान लगाते नजर आये. किसानों और मजदूरों के साथ कांग्रेस नेता खेत में दिखे.
On his way to #Shimla from Delhi, #RahulGandhi met farmers working in the fields of #Sonipat's Village. pic.twitter.com/hLQQyXXAP6
— Rakesh Kumar (@RiCkY_847) July 8, 2023
आपको बता दें कि गुजरात हाइकोर्ट ने शुक्रवार को मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दो साल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. साथ ही अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी. जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ 10 मामले लंबित हैं. ऐसे में सूरत की निचली अदालत के फैसले में दखल देने की जरूरत नहीं है. जस्टिस प्रच्छक ने कहा कि निचली अदालत का राहुल गांधी को उनकी टिप्पणियों के लिए दो साल कारावास की सजा सुनाने का आदेश न्यायसंगत, उचित और वैध है. दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है.
सोनीपत: राहुल गांधी शनिवार सुबह खेतों में पहुंचे, ट्रैक्टर से जुताई की, धान रोपा।#RahulGandhi #Sonipat pic.twitter.com/T1Sslw2MDb
— Jaya Mishra 🇮🇳 (@anchorjaya) July 8, 2023
इस फैसले के बाद कांग्रेस ने कहा कि वह हाइकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. यदि दोषसिद्धि पर रोक लग जाती, तो इससे राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता. अदालत ने कहा कि राहुल गांधी बिल्कुल बेबुनियाद आधारों पर दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगवाने की कोशिश कर रहे थे. यह कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है कि दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है, बल्कि यह एक अपवाद है, जिसका सहारा केवल दुर्लभ मामलों में ही लिया जाता है. अयोग्यता केवल सांसदों, विधायकों तक सीमित नहीं है.