Rahul Gandhi Disqualification: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मानहानी मामले से जुड़े केस में बड़ी खबर सामने आ रही है. मानहानि मामले में दोषी पाए जाने से अपनी लोकसभा सदस्यता और सरकारी बंगला तक गंवाने के बाद राहुल गांधी अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले हैं. सामने आ जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी अब इस मामले में सूरत सेशंस कोर्ट में अपील करेंगे.
बताया जा रहा है कि राहुल गांधी हाईकोर्ट से पहले सूरत सेशंस कोर्ट में अपील करेंगे. बता दें कि सूरत कोर्ट ने मानहानि मामले में 24 मार्च को राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद, उनकी लोकसभा सदस्यता भी खत्म कर दी गई थी. वहीं, अब ग्यारह दिन बाद राहुल गांधी फैसले के खिलाफ सूरत के सेशन कोर्ट में याचिका लगाने वाले हैं. राहुल गांधी की लीगल टीम 3 मार्च यानि सोमवार को कोर्ट जाएगी. जानकारी के अनुसार, इस बार राहुल गांधी का केस दिल्ली के विशेषज्ञ वकीलों की टीम लड़ेगी. राहुल गांधी की कानूनी टीम सोमवार तक सूरत पहुंच कर अपील दायर करेगी.
राहुल गांधी के मामले में कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी पार्टी पर ही सवाल उठाए हैं. आचार्य प्रमोद ने कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का नाम लिए बिना कहा, पार्टी एक प्रवक्ता के लिए 1 घंटे में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी, लेकिन अपने सबसे बड़े नेता के लिए एक हफ्ते में एक अपील भी दाखिल ना कर पाई.
इन सबके बीच, गुजरात कांग्रेस इस महीने राज्य भर में 300 से अधिक सम्मेलनों का आयोजन करेगी और बीजेपी सरकार की विफलताओं को उजागर करेगी. पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने शनिवार को कहा कि पार्टी नेता राहुल गांधी को शिरकत के लिए आमंत्रित किया गया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी की योजना 251 तालुका, 33 जिलों और आठ शहरी केंद्रों में दो चरणों में छह से 12 अप्रैल और 15 से 25 अप्रैल के बीच सम्मेलन आयोजित करने की है. राहुल गांधी को उनके समर्थन के लिए 20 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच गुजरात आमंत्रित किया गया है.
राहुल गांधी पिछली बार 23 मार्च को सूरत में एक अदालत के सामने पेश हुए थे जिसने उन्हें एक आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी ठहराया और उन्हें दो साल के कारावास की सजा सुनाई. यह सजा अंततः लोकसभा के सदस्य के रूप में उनकी अयोग्यता का कारण बनी. ठाकोर ने कहा कि पुलिस मंजूरी मिले या नहीं, प्रदर्शन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं देना एक नियम बन गया है. उन्होंने कहा कि अगर विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी जाती है तो समाज के विभिन्न वर्गों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को हल करने में विफल रहने पर सरकार को लोगों के लामबंद होने का डर है. ठाकोर ने कहा, लोकतंत्र में अधिकारियों के लिए आवेदन करने पर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति देना अनिवार्य है. कांग्रेस ने स्थानीय पुलिस थानों में अनुमति के लिए आवेदन करने का फैसला किया है, और चाहे अनुमति मिले या न मिले, पार्टी अपने कार्यक्रम को जारी रखेगी.