आपसी तनातनी के बीच एक बार फिर कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए जाएंगे राहुल गांधी, अब क्या होगा जी-23 का अगला कदम

हालांकि, राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की राह में रोड़ा अटकाने वाले पार्टी के असंतुष्ट नेताओं में कुछ को पद देकर पार्टी ने पहले ही जुबान पर ताला लगाने का काम कर दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2021 7:29 AM

नई दिल्ली : पार्टी में आपसी तनातनी और अंदरूनी कलह के बीच कांग्रेस में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने की कवायद एक बार फिर शुरू हो गई है. पार्टी की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने अभी हाल ही में राहुल को दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव पेश किया है. इस बीच, सवाल यह पैदा होता है कि कांग्रेस में नेहरू-गांधी परिवार के वर्चस्व को लेकर अभियान छेड़ चुके कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के ग्रुप-23 यानी जी-23 के नेताओं का अगला कदम क्या होगा?

हालांकि, राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की राह में रोड़ा अटकाने वाले पार्टी के असंतुष्ट नेताओं में कुछ को पद देकर पार्टी ने पहले ही जुबान पर ताला लगाने का काम कर दिया है. पार्टी आलाकमान ने जी-23 के कुछ नेताओं को कांग्रेस में अलग समितियां बनाकर अहम जिम्मेदारी दे दी है, ताकि वे राहुल द्वारा पार्टी की कमान संभालने के बाद विरोधी तेवर न दिखा सकें.

बता दें कि कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई ने बीते रविवार यानी 12 सितंबर 2021 को राहुल गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया. एनएसयूआई की कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के समापन दिवस पर यह प्रस्ताव पास किया गया. इस बैठक में भावी रूपरेखा पर चर्चा की गई.

एनएसयूआई की बैठक में कौन-कौन रहे शामिल?

एनएसयूआई की इस बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा, कांग्रेस के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष नितिन राउत, अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी समेत कई वरिष्ठ नेता भी शामिल थे. राहुल गांधी वर्ष 2017 से 2019 तक कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष रह चुके हैं. हालांकि, 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें पार्टी के इस पद से इस्‍तीफा देना पड़ गया था.

जी-23 में दरार

जहां तक कांग्रेस में नेहरू-गांधी परिवार के वर्चस्व को लेकर विरोधी तेवर अपना रहे जी-23 के नेताओं का सवाल है, तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जी-23 में शामिल नेता एम वीरप्पा मोइली ने पहले ही यह कह चुके हैं कि पार्टी के असंतुष्ट नेताओं ने जी-23 का गलत इस्तेमाल किया है. मोइली ने कहा कि कुछ नेताओं ने जी-23 (नेहरू-गांधी परिवार से असंतुष्ट 23 नेताओं का ग्रुप) का दुरुपयोग किया है. उन्होंने कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति अब भी इस ग्रुप के बने रहने का समर्थन करता है, तो यह निहित स्वार्थ के लिए होगा, क्योंकि सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी में सुधार पहले ही शुरू हो चुका है.

अगस्त 2020 में बना जी-23

बता दें कि कांग्रेस से असंतुष्ट जी-23 के नेताओं के समूह ने देशव्यापी सेव द आइडिया ऑफ इंडिया अभियान शुरुआत की थी. अगस्त 2020 में कांग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर सक्रिय नेतृत्व और व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी. उनकी ओर से लिखी गई इस चिट्ठी के बाद न केवल कांग्रेस बल्कि भारतीय राजनीति में कोहराम मच गया.

जी-23 के नेताओं की चिट्ठी का क्या हुआ असर?

जी-23 के नेताओं द्वारा लिखी गई चिट्ठी को कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी नेतृत्व और खासकर गांधी परिवार को चुनौती दिए जाने के तौर पर लिया था. कई नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की थी. बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद आजाद और सिब्बल ने पार्टी की कार्यशैली की खुलकर आलोचना की थी. उन्होंने व्यापक बदलाव की मांग की थी.

जी-23 के नेताओं ने सोनिया को क्यों लिखी चिट्ठी?

चुनावों में कांग्रेस के लगातार खराब प्रदर्शन से पार्टी के भीतर संगठनात्मक बदलाव की मांग तेज की गई थी. जी-23 कहे जाने वालों में शामिल गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे नेताओं ने चिट्ठी प्रकरण के बाद भी पार्टी नेतृत्व से चुभते सवाल पूछने बंद नहीं किए. वे लगातार पार्टी आलाकमान के फैसले नाखुश थे.

जी-23 में कौन-कौन नेता हैं शामिल?

कांग्रेस नीतियों से नाराज असंतुष्ट नेताओं के इस जी-23 में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, पीजे कुरियन, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा, मुकुल वासनिक, भूपेंदर सिंह हुड्डा, राजिंदर कौर भट्टल, एम वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चव्हाण, अजय सिंह, राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, अखिलेश प्रसाद सिंह, कुलदीप शर्मा, योगानंद शास्त्री, संदीप दीक्षित और विवेक तन्खा शामिल हैं.

2019 में राहुल ने अध्यक्ष पद से दिया था इस्तीफा

दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कुछ एक राज्यों को छोड़कर पूरे देश में कांग्रेस के खोते जनाधार के बाद पार्टी में शीर्ष नेतृत्व में बदलाव को लेकर सुगबुगाहट तेज होने पर राहुल गांधी ने कुछ समय के लिए पार्टी की कमान संभाली थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस का अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बन गईं. इसके बाद कई और राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी झेलनी पड़ी.

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राहुल के नाम का प्रस्ताव आने से पहले विरोधियों को किया गया संतुष्ट

कांग्रेस की छात्र इकाई द्वारा राहुल गांधी को पार्टी की कमान दोबारा संभालने के लिए उनके नाम का प्रस्ताव पारित करने से पहले सोनिया गांधी ने असंतुष्टों को तोड़ने के लिए जी-23 के नेताओं को एक समिति बनाकर अहम जिम्मेदारी दे दी, ताकि वे राहुल गांधी के विरोध में दोबारा आवाज बुलंद न कर सकें. सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में 11 सदस्य एक कमेटी का गठन किया.

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क्या है नई कमेटी का मकसद

इस कमेटी का मकसद देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर लगातार एक साल तक किए जाने वाले कार्यक्रमों की योजनाएं बनाने और उनके समन्वय का है. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है. वहीं, जी-23 के गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का इसका सदस्य बनाया गया है. कमेटी का संयोजक भी जी-23 के सक्रिय सदस्य मुकुल वासनिक को बनाया गया है.

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