Rail Kavach: हाल के दिनों में हुए ट्रेन हादसों के बाद लोगों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में कवच सुरक्षा की चर्चा भी जोर शोर से हो रही है. पीएम मोदी सरकार रेलवे कवच सिस्टम पर जोर शोर से काम भी कर रही है. ऐसे में सवाल उठा रहा है कि कवच सिस्टम क्या है और यह रेल यात्रा के दौरान हादसों से सुरक्षा कैसे प्रदान करेगा. बता दें, रेल कवच सिस्टम स्वदेशी रूप से विकसित ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है. रेलवे कवच लोको पायलट को खतरे में सिग्नल पास करने से लेकर तेज गति से गाड़ी चलाने से बचाव में मदद करता है. इसके अलावा यह खराब मौसम में भी लोको पायलट को ट्रेन चलाने में मदद करता है.
कैसे काम करता है कवच
कवच खराब मौसम से लेकर खतरे का सिग्नल पार करने या ट्रेन की गति को लेकर लोको पायलट को अलर्ट करता है. यह खतरे को भांपकर ऑटोमेटिक रूप से ट्रेन में ब्रेक लगाकर ट्रेन को तय स्पीड पर ला देता है. इसके अलावा भी यह कई तरीके से ट्रेन हादसे को कम करने में मदद करता है. कवच लगाने की प्रक्रिया में कुल पांच चरण हैं- पहला- फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाना, दूसरा- टेलीकॉम टावर लगाना, तीसरा- स्टेशनों पर उपकरण लगाना, चौथा- ट्रेनों में उपकरण लगाना और पांचवां- पटरियों के किनारे उपकरण लगाना.
रेल हादसे में आएगी कमी
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल में ही कहा था कि ऑटोमेटिक ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच के नये संस्करण को आरडीएसओ ने मंजूरी दे दी है. इस तकनीक के इस्तेमाल से भविष्य में होने वाली रेल दुर्घटनाओं में काफी कमी आएगी. फरवरी महीने में ट्रेन सुरक्षा कवच का उपयोग दक्षिण मध्य रेलवे पर 1465 किमी रूट और 139 इंजनों पर किया गया था. इसी कड़ी में भारतीय रेलवे ने दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों के लिए कवच कॉन्ट्रैक्ट दिए गए हैं.
कवच सिस्टम से क्या हैं फायदे
- इसक सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत है कि यह ट्रेनों के टकराने की संभावना को काफी कम कर देता है.
- खराब मौसम में भी लोको पायलट के ट्रेन चलाने में मदद कर सकता है.
- इमरजेंसी हालात में यह ट्रेन पर ऑटोमेटिक ब्रेक लगाकर उसे रोक सकता है या गति धीमा कर सकता है.
- कवच सिस्टम एक ट्रेन को ऑटोमेटिक रूप से रोक देगी जब उसे एक निर्धारित दूरी पर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी.
- यह सिस्टम रेड लाइट को नजरअंदाज करने पर या किसी अन्य खराबी आ जाने पर ट्रेन अपने आप रोक देगी.
- अगर लोको पायलट ब्रेक लगाने में किसी कारण असफल रहता है तो कवच टेक्नोलॉजी अपने आप ट्रेन में ब्रेक लगा देती है.
- एलसी गेट्स पास आते ही बिना लोको पायलट के कवच सिस्टम अपने आप हार्न बजाना शुरू कर देगा.
- लोको टू लोको कम्युनिकेशन के कारण दो ट्रेनों के बीच की टक्कर से यह सिस्टम बचाव करता है.
कवच को अब तक कहां-कहां लगाया गया है
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल के दिनों में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि कवच का उपयोग दक्षिण मध्य रेलवे पर 1,465 रूट किमी और 139 इंजनों पर किया गया था. अभी दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों के लिए कवच कॉन्ट्रैक्ट दिए गए हैं. बता दें, देश में कुल 13 हजार से ज्यादा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन है, जिनमें 65 लोको इंजनों में कवच सिस्टम लग गये हैं. रेल मंत्री ने यह भी बताया कि रेल सुरक्षा कवच के लिए अब तक 1216 करोड़ से ज्यादा रुपये की राशि खर्च की गई है. बजट 2024 में रेलवे के लिए 2.62 लाख करोड़ रुपये अलॉट किए गए हैं. इस राशि में 1.08 लाख करोड़ रुपये सुरक्षा पर खर्च होंगे. इनमें सबसे ज्यादा फोकस कवच सिस्टम पर किया जाएगा.
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