लॉकडाउन की वजह से विभिन्न स्थानों पर फंसे लाखों प्रवासी कामगारों के सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर या साइकिल चलाकर, ट्रक, ऑटो और अन्य वाहनों के जरिये अपने पैतृक स्थान जाने की घटनाओं के बीच केंद्र सरकार ने सोमवार को रोजाना 100 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियां चलाने का फैसला किया है. इसके साथ ही केंद्र ने राज्यों से कहा कि वे सुनिश्चित करें कि प्रवासियों को यह सुविधा मिले.
महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच प्रवासी श्रमिकों के लिए मध्यप्रदेश और गुजरात की सीमाओं तक मुफ्त बस सेवाएं शुरू की है. राज्य सरकार ने यह औरंगाबाद जिले में मध्यप्रदेश के 16 प्रवासी श्रमिकों की मालगाड़ी से कटकर मौत हो जाने की घटना के कुछ दिनों बाद किया है. एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि रेलवे अब रोजाना 100 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों का परिचालन करेगा. उन्होंने बताया कि एक मई से अब तक 468 विशेष रेलगाड़ियों के जरिये, देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे करीब पांच लाख प्रवासियों को उनके गृह प्रदेश पहुंचाया गया है.
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रेलवे ने अब ‘श्रमिक विशेष’ गाड़ियों में 1200 की जगह 1700 यात्रियों को भेजने का निर्णय किया है. साथ ही जोनल रेलवे से कहा है कि राज्य सरकार के अनुरोध पर श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों का प्रस्थान और गंतव्य स्टेशन के बीच तीन स्थानों पर ठहराव दें. केंद्र सरकार ने इस तथ्य पर संज्ञान लिया कि प्रवासी मजदूर सड़क और रेल की पटरियों पर पैदल चलकर अपने गंतव्यों तक जा रहे हैं.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि श्रमिकों के ऐसी स्थिति में मिलने पर, जब तक उनके घर लौटने के लिए श्रमिक विशेष ट्रेन या बस की सुविधा नहीं हो जाती है, उन्हें आश्रय और भोजन, पानी आदि प्रदान किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार द्वारा परिस्थिति को संभालने के तरीके की विपक्ष आलोचना कर रहा है.
विपक्ष का आरोप है कि प्रवासी मजदूरों की मुश्किल को कम करने के लिए सरकार ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए और कई कामगारों की 25 मार्च से शुरू लॉकडाउन के बाद नौकरी ही छूट गई है. प्रवासी कामगार अपने पैतृक स्थानों को जाने को प्रतिबद्ध हैं लेकिन सार्वजनिक परिवहन स्थगित और आवाजाही पर पाबंदी होने की वजह से कई कामगार पैदल, या किसी निजी वाहन से यात्रा करने को मजबूर हैं. इस दौरान वे कई तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं और यहां तक अपनी जान भी खतरे में डाल रहे हैं. विभिन्न राज्यों में घर जा रहे प्रवासियों से जुड़े हादसों की खबर आ रही है.
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पुलिस ने सोमवार को बताया कि तेलंगाना से उत्तर प्रदेश आ रहे दो प्रवासियों की उस समय मौत हो गई जब गोरखपुर में उन्हें लेकर आ रहा ट्रक अनियंत्रित होकर पलट गया. इस हादसे में सात अन्य घायल हुए हैं. खबरों के मुताबिक, सभी नौ मजदूर महाराजगंज जिले के रहने वाले हैं. वे हैदराबाद से पैदल ही अपने घरों की ओर आ रहे थे. कानपुर में वे एक बालू से भरे ट्रक पर सवार हो गये जो अचानक अनियंत्रित होकर पलट गया. उन्होंने बताया कि एक अन्य घटना में साइकिल से दिल्ली से बिहार जा रहे एक प्रवासी मजदूर की शनिवार को लखनऊ में कार की चपेट में आने से मौत हो गई. मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर में शनिवार रात ट्रक में सवार होकर हैदराबाद से उत्तरप्रदेश आ रहे कम से कम छह मजदूरों की उस समय मौत हो गई जब ट्रक पलट गई. इस हादसे में 14 अन्य घायल हुए हैं. श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों की शुरुआत से ही गुजरात शीर्ष स्थान है जहां से मजदूर पलायन कर रहे हैं.
दूसरे स्थान पर केरल है जबकि क्रमश: बिहार और उत्तर प्रदेश शीर्ष राज्य हैं जहां पर ये मजदूर पहुंच रहे हैं. अभी भी उन मजदूरों की बड़ी संख्या है जो इस सुविधा का लाभ नहीं ले पाए हैं. यह भी आशंका है कि मजदूरों की कमी हो जाएगी और लौट रहे कामगारों का उनके गृह प्रदेशों में पुनर्वास करने में मुश्किल आएगी. इसके साथ ही प्रवासियों की आवाजाही से कोविड-19 के मामले बढ़ने की भी आशंका है. पुलिस ने बताया कि गुजरात के भावनगर स्थित निरमा लिमिडेट के डिटर्जेंट कारखाने के मजदूरों ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के लिए विशेष श्रमिक रेलगाड़ी रद्द होने के बाद कर्मचारी बस में तोड़फोड़ की.
पुलिस अधीक्षक जयपालसिंह राठौड़ ने बताया कि घटना काला तलवा इलाके में स्थित निरमा कारखाने के नजदीक मजदूरों की कॉलोनी में हुई. कर्मचारी यह सोच कर नाराज थे कि कंपनी उन्हें लॉकडाउन के दौरान अपने घर नहीं जाने दे रही है जो सच नहीं है. उन्होंने बताया कि कुछ कामगारों पर दंगा करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है. गुजरात सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक रवाना हुए 2.56 लाख प्रवासी श्रमिकों में से 70 प्रतिशत, करीब 1.76 लाख श्रमिक उत्तर प्रदेश गए हैं. बाकि श्रमिकों में से बड़ी संख्या में लोग बिहार, ओडिशा, मध्यप्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ लौटे हैं.
अधिकारियों ने बताया कि गुजरात में सूरत से सबसे ज्यादा प्रवासी श्रमिक अपने-अपने घर लौटे हैं. इसके अलावा अहमदाबाद, वड़ोदरा, राजकोट और अन्य जिलों से बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक अपने-अपने घर लौट गए हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण के केंद्र के रूप में उभरी मुंबई से भी हजारों प्रवासी कर्मचारी अपने पैतृक स्थान जा रहे हैं. इनमें से कई कामगार टैक्सी और ऑटोरिक्शा के जरिये अपनी यात्रा कर रहे हैं.
यूनियन ने बताया कि ‘काली पीली’ टैक्सियों के नाम से मशहूर और ऑटो के क्रमश: एक हजार और पांच हजार चालक महानगर छोड़ चुके हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या तीन, जिसे मुंबई-आगरा राजमार्ग भी कहते हैं और जो मध्यप्रदेश के इंदौर को बाइपास के जरिये जोड़ता है, वहां मुंबई से बड़ी संख्या में ऑटोरिक्शों को देखा गया है. यहां तक कि लोग साइकिल से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और ओडिशा के कालाहांडी तक जाने के लिए निकले हैं. ऐसे ही लोगों में बालेश्वर यादव (54) हैं जो अपने तिपहिया वाहन से झारखंड के हजारीबाग जिले स्थित गांव लौट रहे हैं. इस तिपहिया वाहन में दो महिलाओं और तीन बच्चों समेत आठ लोग सवार हैं.