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Rajasthan Election : वसुंधरा राजे की नाराजगी के बीच किस तरह भाजपा लहराएगाी अपना झंडा, जानिए पूरी रणनीति

राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जो जंग चल रही है उससे आलाकमान परेशान है. वहीं दूसरी ओर राजस्थान में बीजेपी की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाए जाने की वजह से नाराज चल रही हैं. हालांकि बीजेपी ने अबतक किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया है.

राजस्थान चुनाव : राजस्थान विधान सभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को मतदान होना है. राजस्थान में अभी कांग्रेस की सरकार है और अशोक गहलोत प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी किसी भी हाल में राजस्थान को जीतना चाहती है. वहीं कांग्रेस की स्थिति भी राजस्थान में बहुत अच्छी नहीं हैं और वह बीजेपी से कम अपने लोगों से ज्यादा परेशान है. राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जो जंग चल रही है उससे आलाकमान परेशान है. वहीं दूसरी ओर राजस्थान में बीजेपी की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाए जाने की वजह से नाराज चल रही हैं. हालांकि बीजेपी ने अबतक किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया है, लेकिन वसुंधरा राजे को दरकिनार किए जाने की वजह से उनके समर्थकों में निराशा है और जिसका असर चुनाव पर स्पष्ट रूप से पड़ेगा.

मोदी मैजिक पर बीजेपी को भरोसा

इन परिस्थितियों में आखिकार बीजेपी किस तरह राजस्थान को अपने पाले में लाएगी और इसके लिए उसकी रणनीति क्या है, यह जानना बहुत ही जरूरी है. दरअसल बीजेपी राजस्थान विधानसभा चुनाव में एक बार फिर ‘मोदी मैजिक’ पर भरोसा कर रही है. वहीं अगर बीजेपी की रणनीति पर गौर करें तो हम पाएंगे कि बीजेपी इस चुनाव में सात सांसदों को भी लेकर आई है जिनमें राज्यवर्धन सिंह राठौर जैसे नेता प्रमुख हैं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि बीजेपी का संगठन राजस्थान में बहुत ही मजबूत है.

जातियों को साधने की तैयारी

यही वजह है कि पार्टी ने चुनाव की तैयारी बहुत पहले ही कर ली थी और उम्मीदवारों की सूची को जारी करने में काफी सूझबूझ दिखाई. इस बार के राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जातिगत समीकरण को संतुलित करने के लिए गुर्जर और मीना जातियों के साथ -साथ दलित वोटर्स पर फोकस किया है. यही वजह है कि पार्टी ने गुर्जर और मीना समुदाय के कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला और सांसद किरोड़ी लाल मीना को टिकट दिया है. इतना ही नहीं इस बार बीजेपी ने दलितों को साधने की कोशिश में उनके मुद्दों को बखूबी उठाया है, जो इस चुनाव में उनकी ताकत बनने जा रहे हैं.

वसुंधरा राजे की नाराजगी से निपटने के लिए ये है रणनीति

वहीं बीजेपी पार्टी में व्याप्त गुटबाजी से परेशान है. वसुंधरा राजे की नाराजगी से निपटने के लिए ही पार्टी ने पीएम मोदी को आगे किया है और केंद्र की योजनाओं को प्रदेश में लागू करने की बात कर रहे हैं. इसके अलावा पार्टी ने महिला आरक्षण और पेपर लीक जैसे मुद्दों को भी उठाया है, जो उनके लिए बड़े मुद्दे बन सकते हैं. यानी एंटी इंकम्बेंसी का फायदा भी बीजेपी जोर-शोर से इस चुनाव में लेना चाहती है, लेकिन बड़ा खतरा उसे वसुंधरा राजे की नाराजगी से हो सकता है. राजस्थान में 200 विधानसभा क्षेत्र हैं और बहुमत का आंकड़ा 101 है. इस बार भी 199 विधानसभा क्षेत्र पर चुनाव हो रहे हैं, 25 नवंबर को मतदान होगा और तीन दिसंबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे. प्रदेश में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही है, लेकिन कई सीटों पर बागियों की वजह से त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय मुकाबले भी हो रहे हैं.

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