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राजस्थान विधानसभा चुनाव: दिग्गजों के सामने फील्डिंग नहीं सजा पायी भाजपा और कांग्रेस

राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज नजर आ रही है. भाजपा और कांग्रेस लगातार एक दूसरे पर हमला कर रही है. इस बीच जानें तीन प्रमुख चेहरों का हाल

By Prabhat Khabar News Desk | November 16, 2023 9:29 AM
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जयपुर से वीरेंद्र आर्य की रिपोर्ट

राजस्थान विधानसभा चुनाव में माहौल बनने से पहले भाजपा और कांग्रेस ने बड़े नेताओं की घेराबंदी को लेकर कई दावे किये, लेकिन दोनों ही बड़े चेहरों के आगे चुनौती नहीं खड़ी कर पाये. भाजपा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के सामने कोई चौंकाने वाले चेहरे नहीं उतारे. यही हाल कांग्रेस का भी रहा. कांग्रेस के अधिकतर उम्मीदवार भाजपा की वसुंधरा राजे हों या सांसद, इक्का-दुक्का को छोड़ किसी की राह में खास मुश्किल खड़ी नहीं कर पा रहे हैं.

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अशोक गहलोत: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की परंपरागत सीट जोधपुर की सरदारपुरा पर भाजपा ने महेंद्र सिंह राठौड़ को उतारा है. गहलोत पांच बार सांसद और पांच बार विधायक, तीन बार मुख्यमंत्री, तीन बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं. वसुंधरा राजे समर्थक राठौड़ को टिकट देकर भाजपा ने गहलोत की राह आसान कर दी है. समर्थकों का मानना है कि गहलोत को अपनी सीट को लेकर किसी तरह की परेशानी खड़ी नहीं होनेवाली है.

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वसुंधरा राजे: राजस्थान में दो दशक से भी ज्यादा भाजपा का चेहरा रहीं वसुंधरा राजे के खिलाफ कांग्रेस ने स्थानीय नेता रामलाल चौहान को टिकट दिया गया है. राजे पांच बार सांसद, चार बार विधायक, दो बार मुख्यमंत्री रहीं हैं. चौहान यहां पंचायत समिति की राजनीति करते हैं. इस सीट पर नहीं, पूरे हाड़ौती में राजे का प्रभाव है. राजे समर्थकों को खास परेशानी नहीं आनेवाली है.

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सचिन पायलट : कांग्रेस सरकार में गहलोत से लगातार तकरार रहने के कारण सचिन पायलट छाये रहे. उनके सामने भाजपा ने पूर्व विधायक अजीत सिंह मेहता को उतारा है. मेहता को संघ का साथ मिल रहा है, लेकिन पायलट जैसा कद नहीं है. ऐसे में पायलट समर्थक टोंक सीट पर भाजपा को कोई खास चुनौती नहीं मान रहे हैं.

सांसद क्या प्रतिष्ठा बचाने में होंगे कामयाब

भाजपा ने इस चुनाव में 4 सांसदों को उतारा हुआ है. जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य सांसद दीया कुमारी को जयपुर के विद्याधर नगर सीट से टिकट देने के लिए कद्दावर नेता रहे भैरों सिंह शेखावत के दामाद विधायक नरपत सिंह राजवी को उनकी पुरानी सीट चित्तौड़गढ़ शिफ्ट कर दिया. दीया के सामने कांग्रेस ने पिछला चुनाव हारे सीताराम अग्रवाल को उतारा है. स्थानीय प्रभाव होने के कारण सीताराम कमजोर नहीं माने जा रहे, लेकिन राजपूत वोट बैंक होने के कारण दीया स्थिति मजबूत बनी हुई है.

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भाजपा ने पूर्व मंत्री व सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को झोटवाड़ा सीट से मौका देने के लिए राजे समर्थक पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत का टिकट काट दिया. राजपाल ने बगावत की और निर्दलीय पर्चा भर दिया, लेकिन पार्टी उन्हें मनाने में कामयाब हो गई. कांग्रेस ने युवा नेता अभिषेक चौधरी को उतारा है, लेकिन समीकरण अब इनका साथ नहीं दे रहे.

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सांसद बाबा बालकनाथ को भाजपा ने अलवर की तिजारा सीट से टिकट दिया है. उनके सामने कांग्रेस के इमरान खान चेहरा हैं, खान का नाम पहले इस सीट से बसपा की सूची में था, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में शामिल कर टिकट दे दिया. बसपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव हारे थे. दोनों के बीच टक्कर रोचक है.

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राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को भाजपा ने सवाईमाधोपुर सीट से उतारा है, ये सीट भाजपा के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है. यहां पिछली बार कांग्रेस जीती थी, उनके सामने विधायक दानिश अबरार हैं. गहलोत सरकार के खिलाफ लगातार आंदोलन चलाने ने किरोड़ी लाल मीणा को लाभ मिल रहा है.

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सांसद नरेंद्र खींचड़ को भाजपा ने झुंझुनूं की मंडावा सीट से उतारा है, यहां लम्बे समय से राजनीति करते रहने का उन्हें लाभ मिल रहा है. उनके सामने कांग्रसे की विधायक रीटा चौधरी हैं, जिन्हें उन्होंने वर्ष 2018 में हराया था, लेकिन वे उपचुनाव में जीत गई थीं. इस बार भी दोनों के बीच टक्कर है. सीट जाट वोट बैंक के अलावा अन्य जातियों के वोट जीत-बार का फैसला करेंगे.

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