सचिन पायलट को मनाना आसान नहीं! राजस्थान में कांग्रेस को करनी होगी ज्यादा माथापच्ची, जानिए आखिर क्यों

राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले कांग्रेस प्रदेश में जारी संकट को खत्म करना चहती है. लेकिन यहां कांग्रेस नेता सचिन पायलट को मनाना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा. जानें क्यों

By Amitabh Kumar | June 30, 2023 8:54 PM
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वर्तमान में छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और दोनों ही प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है कि इस दोनों राज्यों में उसकी सरकार रिपीट हो. छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस का संकट टलता नजर आ रहा है लेकिन अब राजस्थान के संकट को वो कैसे टालेगी, इसका सबको इंतजार है. इस बीच अपने ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने एक ट्वीट किया है जिसके बाद कई तरह की अटकलें लगायी जा रही है.

राजस्थान कांग्रेस के नेता और प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा कि श्री टीएस सिंह देव जी को छत्तीसगढ़ का उप मुख्यमंत्री बनाए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं…इस ट्वीट के साथ उन्होंने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिंह देव का मुस्कुराता हुआ फोटो शेयर किया है. चुनाव के पहले टीएस सिंह देव को छत्तीसगढ़ का उपमुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने यहां के संकट को टाल लिया है.

अपनी ही सरकार पर हमलावर हैं सचिन पायलट

छत्तीसगढ़ के बाद अब कांग्रेस राजस्थान पर अपना फोकस कर रही है जहां तीन जुलाई को एक अहम बैठक बुलाई गयी है. अब राजस्थान में क्या होगा? क्या सचिन पायलट को कुछ अहम जिम्मेदारी देकर कांग्रेस सबकुछ ठीक कर लेगी? ऐसे कुछ सवाल हैं जो लोगों के जेहन में उठ रहे हैं. आपको बता दें कि सचिन पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ कई मंचों पर बोल चुके हैं. यही नहीं उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी प्रमुख का पद भी वे छोड़ चुके हैं.


राजस्थान में करनी होगी ज्यादा माथापच्ची

जब से कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में बदलाव किया है तब से जयपुर में कई तरह की चर्चा हो रही है. जबकि राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. यह देखते हुए कि राजस्थान में कांग्रेस कुछ ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती जिससे चुनाव में उसे नुकसान उठाना पड़े. हालांकि, कांग्रेस को छत्तीसगढ़ की तुलना में राजस्थान में ज्यादा माथापच्ची करनी होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि छत्तीसगढ़ में शीत युद्ध के बावजूद, बघेल और सिंह देव ने सभ्यता का परिचय दिया और एक-दूसरे पर व्यक्तिगत हमलों से परहेज करते रहे.

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18 विधायकों के साथ विद्रोही रूप दिखा चुके हैं पायलट

इसके विपरीत, राजस्थान में जब से सचिन पायलट ने 2020 में 18 विधायकों के साथ विद्रोही रूप अख्तियार किया, उसके बाद से कांग्रेस का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है. 2020 के संकट से तो कांग्रेस उबर गयी लेकिन सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच बयानबाजी नहीं थमी. गहलोत ने जहां सचिन पायलट को नकारा, निकम्मा और गद्दार कहा…वहीं पायलट ने कहा कि गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि भाजपा की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे हैं.

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