राजस्थान चुनाव: मौजूदा मंत्री और विधायकों के टिकट काटेगी कांग्रेस? जानिए क्या रहा है ट्रेंड
Rajasthan Election 2023 : राजनीतिक जानकारों की मानें तो सरकार के खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी इसलिए हो जाती है क्योंकि राजस्थान में विकास की जरूरतें बहुत ज्यादा है. जानें क्या रहा है राजस्थान विधानसभा चुनाव का ट्रेंड
राजस्थान में कांग्रेस का संकट टलता नजर आ रहा है. कांग्रेस इस बार राजस्थान में सरकार रिपीट करने का दावा कर रही है. इस संबंध में पार्टी के कई नेताओं के बयान सामने आ चुके हैं. हालांकि राजस्थान विधानसभा चुनाव के ट्रेंड को देखकर ऐसा नहीं लग रहा है. सच तो यही है कि राजस्थान में सत्ताधारी दल फिर से सत्ता पर काबिज नहीं होती है. पिछले चुनावों में ऐसा देखा गया है कि जो भी पार्टी सत्ता में रही, उसने अपने पुराने चेहरों के भरोसे ही चुनाव जीतने का प्रयास किया लेकिन पूरी मेहनत बेकार चली गयी. दिग्गज मंत्री भी अपनी सीट गंवा बैठे. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या कांग्रेस अपने मौजूदा विधायकों और मंत्री के टिकट काटेगी जिससे उसके फिर से सत्ता में वापसी की कुछ संभावना बने.
पिछले 20 साल में राजस्थान में हुए चार विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो कोई भी पार्टी लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल नहीं हो पायी है. सत्ताधारी पार्टी के विधायक दोबारा चुनाव मैदान में उतरते हैं तो उनमें से ज्यादातर को हार का मुंह देखना पड़ता है. जनता का सबसे ज्यादा गुस्सा मंत्रियों पर निकलता है, पिछली चार सरकारों में मंत्री रहे ज्यादातर नेता अगले चुनाव में हारते दिखे. राजस्थान की राजनीति में जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो जब कोई पार्टी सत्ता में आती है तो प्रदेश की जनता की उम्मीदें उससे जुड़ जाती हैं. लेकिन जब पांच साल में उम्मीदें पूरी नहीं होती तो चुनाव आते-आते लोगों की नजर से वे उतर जाते हैं. यही वजह है कि सरकार के खिलाफ एंटीइन्कमबेंसी बढ़ जाती है और इसका असर चुनाव में नजर आता है.
2018 के चुनाव पर एक नजर
2018 के चुनाव पर नजर डालें तो उस वक्त की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के 16 मंत्री हार गये थे. यही नहीं 94 विधायकों को फिर से टिकट दिया गया था. इनमें से 54 हार गये थे. भाजपा ने 2018 के चुनाव में 163 विधायकों में से 94 को फिर से टिकट दिया था. इनमें से केवल 40 ने ही जीत दर्ज की थी. 54 विधायकों को हार का सामना करना पड़ा था. तत्कालीन वसुंधरा सरकार के मंत्री रहे 16 नेता चुनावी समर में डूब गये थे. विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वालों में युनूस खान, प्रभुलाल सैनी, राजपालसिंह शेखावत, धनसिंह रावत जैसे बड़े नाम शामिल हैं.
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मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं देगी कांग्रेस
यहां चर्चा कर दें कि इस साल नवंबर-दिसंबर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसको लेकर कांग्रेस ने गुरुवार को दिल्ली में राजस्थान के नेताओं के साथ बैठक की. बैठक में नेताओं ने विधानसभा चुनाव से पहले एकजुट होने को लेकर सहमति जतायी है. पार्टी नेताओं की ओर से बयान आया कि कांग्रेस की परंपरा के अनुसार किसी भी नेता को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश नहीं किया जाएगा. कांग्रेस में पिछले कई महीनों से जारी कलह को लेकर कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने नेताओं को अपनी शिकायतें या विचार पार्टी मंच तक ही सीमित रखने की सलाह दी है.