Rajasthan Election 2023: राजस्थान चुनाव में जातिगत वोटिंग करेगी सरकार का फैसला, तीन दिसंबर को आएंगे नतीजे
Rajasthan Election 2023: विकास की बातें करने वाले राजनीतिक दल हों या राजस्थान की जनता, चुनाव के समय सभी जातिगत रंग में रंगे नजर आते हैं. वोटिंग के आंकड़ों ने ऐसा उलझाया है कि राजनीतिक पार्टियां, नेता और प्रदेश की जनता भी जातिगत वोटिंग के आंकलन में जुट गई है.
वीरेंद्र आर्य
Rajasthan Election 2023: विकास की बातें करने वाले राजनीतिक दल हों या राजस्थान की जनता, चुनाव के समय सभी जातिगत रंग में रंगे नजर आते हैं. वोटिंग के आंकड़ों ने ऐसा उलझाया है कि राजनीतिक पार्टियां, नेता और प्रदेश की जनता भी जातिगत वोटिंग के आंकलन में जुट गई है. इस चुनाव में 75.45 फीसदी मतदान हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.73 फीसदी अधिक है. वोटिंग में एक फीसदी भी बढ़ोतरी नहीं होने से भविष्य साफ नजर नहीं आ रहा है.
जातिगत वोट तय करेंगे अंतिम नतीजे
राजस्थान में अधिक वोट बैंक वाले समाजों को टिकट जारी करने में कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे को चुनौती देती दिखाई दीं. अब भविष्य जातिगत वोट बैंक ही तय करेगा और 3 दिसम्बर को मतगणना के दिन स्थिति साफ हो जाएगी. सबसे बड़ा वोट बैंक जाट समाज आमतौर पर कांग्रेस का वोटर माना जाता है. लेकिन भाजपा ने इस समाज से अधिक उम्मीदवार उतार दिए. जाट समाज में ये चर्चा का विषय बन गया. कांग्रेस की तुलना में भाजपा ने 3 अधिक 36 प्रत्याशी जाट समाज से उतारे. इधर राजपूत समाज भी अच्छा वोट बैंक है, इसमें भी भाजपा आगे दिखाई दी. कांग्रेस ने 17 और भाजपा ने 25 राजपूत उम्मीदवार खड़े किए. ब्राह्मण समाज एकजुट होकर वोटिंग नहीं करता, लेकिन भाजपा ने इस समाज से भी कांग्रेस से चार ज्यादा 20 प्रत्याशी उतारे.
दलित वोट साधने में चुटी रही बीजेपी और कांग्रेस
कांग्रेस का वोटबैंक माने जाने वाले दलित वोट बैंक को दोनों ही पार्टियां साधने में जुटी रहीं और दोनों पार्टियों ने बराबर 34-34 उम्मीदवार खड़े किए. भाजपा ने हिन्दु वोट बैंक को साधने और ध्रुवीकरण की रणनीति के चलते एक भी मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट नहीं दिया. जबकि कांग्रेस ने 14 मुस्लिम प्रत्याशियों को मौका दिया है. हालांकि मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस का ही वोटर माना जाता है.
इधर आदिवासी वोट बैंक में कांग्रेस ने भाजपा की तुलना में 3 कैंडिडेट ज्यादा उतारे, लेकिन उदयपुर संभाग के आदिवासी क्षेत्रों कांग्रेस के सामने बाप व बीटीपी ने अपने प्रत्याशी उतारकर चुनौती खड़ी कर दी. इससे कांग्रेस को वहां 3 से 4 सीटों पर नुकसान होगा और वोट बैंक में सेंध लगने से भाजपा को फायदा. इसके अलावा वैश्य समाज से भाजपा व कांग्रेस के 11-11 उम्मीदवार हैं और गुर्जर समाज से कांग्रेस ने 11 व भाजपा ने 10 उम्मीदवारों को उतारा है, लेकिन सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद नहीं मिलने के कारण इस बार गुर्जर वोट बैंक भी अकेले कांग्रेस को वोट नहीं कर रहा है.